दिवंगत कर्मचारी की फैमिली पेंशन को लेकर हाई कोर्ट गए एक मामले में हिमाचल सरकार को एक लाख कॉस्ट लगी है। हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई है कि हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन उस वित्तीय लाभ के लिए याचिकाकर्ता को कोर्ट में आने के लिए मजबूर किया, जो उसका हक था। हाई कोर्ट ने सिंगल जज द्वारा 21 अक्तूबर, 2021 को दिए गए फैसले को सही ठहराते हुए इसमें संशोधन भी किया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छह फीसदी ब्याज के साथ फैमिली पेंशन का भुगतान 2014 से वर्तमान तिथि तक चार सप्ताह के भीतर करने को कहा है। फैसले में कहा गया है कि यदि याचिकाकर्ता की तरफ से कॉरपोरेशन को कुछ भुगतान करना बाकी हो, तो वह बिना ब्याज के इसी राशि में एडजस्ट किया जाएगा। हाई कोर्ट ने स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन पर एक लाख कॉस्ट लगाते हुए इसका भुगतान याचिकाकर्ता को चार हफ्ते के भीतर करने को कहा है।
साथ ही यह भी कहा है कि कॉस्ट और ब्याज का अमाउंट उन अधिकारियों से रिकवर किया जाए, जिनके गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट आना पड़ा। गौरतलब है कि स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन में बतौर कम्प्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किए गए जगत सिंह नेगी का सरकारी सेवा के दौरान ही निधन हो गया था। उसके बाद उनकी फैमिली पेंशन को लेकर उनकी पत्नी और बच्चों ने कोर्ट में केस किया था, जो उनके पक्ष में आया था। इसी फैसले के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने भी अपील डाली थी, जबकि याचिकाकर्ता ने एकल जज के फैसले को लागू करवाने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। केस की सुनवाई के दौरान भी हाई कोर्ट ने पूछा है कि जब स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने हिमाचल प्रदेश कारपोरेट पेंशन स्कीम-1999 को अपने यहां लागू करने का फैसला ले लिया, तो फैमिली पेंशन से इनकार नहीं किया जा सकता है।