हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को वन संरक्षण के प्रति गंभीर रवैया अपनाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिए कि वनों के कटान को हर हालत में रोकना होगा। पेड़ों के कटने के बाद मात्र जुर्माना वसूली से हालत नहीं सुधरेंगे। पेड़ कटने से पहले ही लोगों को रोकना होगा। कोर्ट ने फोरेस्ट रेस्ट हाउस चैलचौक मंडी के नजदीक सैकड़ों पेड़ काटकर एक बड़ा मैदान बनाए जाने की जांच के आदेश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने डीसी मंडी की रिपोर्ट को परेशान कर देने वाला बताया। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कैसे फोरेस्ट रेस्ट हाउस के साथ का बहुत बड़ा भाग बिना वन विभाग की जानकारी के खाली कर दिया गया। कोर्ट ने डीसी मंडी की रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया कि दो व्यक्तियों पर कांगिरी से वाइल्ड लाइफ रेस्ट हाउस शिकारी देवी सडक़ को चौड़ा करने के लिए अनेकों पेड़ काटने के जुर्म में 3 लाख रुपए का जुर्माना और कुछ समझौता शुल्क वसूला गया। मामले पर सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने देवता बनाड़ और देवता देशमौली को पुजारली में रोके जाने को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने 300 वर्षों से अधिक चली आ रही पुरानी ब्रांशी परंपरा को अविवादित पाते हुए एसडीएम रोहडू व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रोहडू शिमला के आदेशों में दखल देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट में प्रतिवादियों ने इन देवताओं को रोहडू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव मंदिर में ही रोके जाने को गलत ठहराया था। एसडीएम रोहडू ने प्रत्येक वर्ष रोटेशन आधार पर शराचली क्षेत्र के सात गावों में इन देवताओं की पूजा अर्चना में बाधा उत्पन्न करने वाले लोगों को पुरानी परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश दिए थे।
न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने इन आदेशों को सही ठहराते हुए प्रार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि देवता बनाड़ और देवता देशमौली जी को पुजारली में ही रोके जाने से जुड़े विवाद में मध्यस्थता विफल हो गई थी। हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2023 को आदेश दिए थे कि इस मामले को आपसी सहमति से मध्यस्थता के माध्यम से निपटाया जाए। इसके लिए हाईकोर्ट ने मध्यस्थ की नियुक्ति भी की थी।