हिमाचल के डिप्टी सीएम मुकेश अग्रिहोत्री ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि सरकार प्रदेश में न्यूनतम किराया नहीं बढ़ाने वाली है। उनके इस फैसले से निजी बस आपरेटरों को मायूसी हाथ लगी है। निजी बस आपरेटरों ने एक बार फिर सरकार से बस किराया बढ़ोतरी पर विचार करने की आग्रह किया है। हिमाचल प्रदेश निजी बस आपरेटर संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर और महासचिव रमेश कमल ने कहा कि प्रदेश में न्यूनतम किराया देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है। निजी बस आपरेटर जनता पर बोझ नहीं डालना चाह रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार से महंगाई बढ़ रही है, उससे निजी बस आपरेटर को बहुत घाटा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में डीजल पर वेट दो बार बढ़ाया गया है, जिससे निजी बस आपरेटर की कमाई आधी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि कोविड के बाद हिमाचल प्रदेश में निजी बसों में नाममात्र की सवारियां बैठ रही हैं, लेकिन प्रदेश के निजी बस आपरेटर घाटे में बस चलाकर भी जनता को सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निजी बस आपरेटर हमेशा ही सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं, लेकिन निजी बस आपरेटरों को अत्यधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बस आपरेटरों ने कहा कि हिमाचल में न्यूनतम किराया पांच रुपए है, जबकि चंडीगढ़-दिल्ली सहित अन्य राज्यों में यह किराया 10 से 15 और 20 तक है। संघ ने सरकार से आग्रह किया है कि निजी बस आपरेटरों को राहत दिलाने के लिए न्यूनतम किराया 15 रुपए किराया जाए।