जिला कुल्लू की तारा कुमारी ने वानिकी वैज्ञानिक (फॉरेस्ट्री साइंटिस्ट) बनकर हिमाचल का नाम रोशन किया है. तारा कुमारी पर्यटन नगरी मनाली के जगतसुख गांव की रहने वाली हैं. तारा की इस कामयाबी पर उनके माता-पिता बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. तारा कुमारी ने फॉरेस्ट्री साइंटिस्ट बनकर सिर्फ कुल्लू जिले का ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश का गौरव बढ़ाया है.
तारा कुमारी ने दिसंबर साल 2018 में पीएचडी यूजीसी-एनटीए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) – (जेआरएफ और सहायक प्रोफेसर दोनों) उत्तीर्ण की थी. अभी तारा वन अनुसंधान संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून से पीएचडी कर रही है. तारा कुमारी ने बताया कि उसका शोध कृषि वानिकी के विभिन्न घटकों के बारे में में बताता है, जो जमीन की एक ही इकाई से कई प्रकार के लाभ प्रदान करने में मदद करता है. यह जंगलों पर मानवों की निर्भरता को कम करता है और स्थायी विकल्प प्रदान करके आजीविका सुरक्षा को भी बढ़ावा देते है.
तारा कुमारी ने इसके अलावा पोस्ट-ग्रेजुएशन- वन अनुसंधान संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी, देहरादून से वानिकी में मास्टर ऑफ साइंस, एग्रोफोरेस्ट्री में विशेषज्ञता के साथ कुल 77.60% अंकों से यूनिवर्सिटी में दूसरी टॉपर रही. जबकि डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री से वानिकी में ऑनर्स के साथ विज्ञान में स्नातक की है.
तारा ने बताया कि 13 जुलाई 2023 को, मुझे भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) में वैज्ञानिक-बी के रूप में चुना गया. जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सरकार के तहत भारत सरकार की एक स्वायत्त निकाय है. रिटन एग्जाम अप्रैल 2023 में आयोजित किया गया था और इंटरव्यू जुलाई 2023 में आयोजित किया गया था. वानिकी विषय के लिए पूरे भारत में 5 सीटें थीं. तारा ने अपनी कामयाबी के लिए अपने मात-पिता और परिवार वालों के प्रति आभार जताया. इसके साथ ही उन्होंने अपने सभी शिक्षकों, मार्गदर्शकों और दोस्तों को धन्यवाद कहा.
तारा का कहना है कि एक फॉरेस्ट्री साइंटिस्ट के रूप में वह बहुमूल्य वनों का संरक्षक बनने, उनके संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन के लिए समर्पित होना चाहती हैं. अपनी विशेषज्ञता को दूसरों के साथ साझा करना, अगली पीढ़ी के वन वैज्ञानिकों को प्रेरित करना और जनता को वनों के महत्व के बारे में शिक्षित करना, साथ ही हिमाचल की महिलाओं को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं.