पेंशन से जुड़े मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डिवेलपमेंट कारपोरेशन की अपील को एक लाख कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश विपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने निगम को आदेश जारी किए है कि वह मई 2014 से प्रार्थी को छह फीसदी व्याज सहित पेंशन की अदायगी करें। अपील में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी का पति जगत सिंह नेगी हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कारपोरेशन में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर 16 मार्च, 1988 से कार्य कर रहा था। 26 अक्तूबर, 2002 को जब वह विभागीय काम से कुल्लू गया हुआ था तो उस दौरान उसकी मौत हो गई। मई 2014 में प्रार्थी ने निगम के समक्ष प्रतिवेदन के माध्यम से उसे पारिवारिक पेंशन दिए जाने बाबत गुहार लगाई। प्रतिवेदन पर निगम द्वारा पेंशन न दिए जाने की स्थिति में प्रार्थी ने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की है।
प्रशासनिक प्राधिकरण ने तीन मार्च 2019 को निगम को आदेश जारी किया कि वह बिमला सूद के मामले में पारित निर्णय के तहत प्रार्थी को पारिवारिक पेंशन प्रदान करने बाबत विचार करें। जब निगम की ओर से इस बाबत कोई कम नहीं उठाया गया तो प्रार्थी को मजबूरन हाई कोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ी। 29 फरवरी, 2020 को प्रार्थी का पारिवारिक पेंशन के लिए क्लेम को खारिज कर दिया गया। प्रार्थी ने इसके खिलाफ याचिका दाखिल की जिसे एकल पीठ ने प्रार्थी के हक में फैसला सुनाया और प्रार्थी को हिमाचल प्रदेश कारपोरेट सेक्टर एम्पलाइज पेंशन स्कीम 1999 के अंतर्गत पारिवारिक पेंशन देने के आदेश जारी किए । इसके खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक डिवेलपमेंट कारपोरेशन ने अपील दायर की थी। जिसे खंडपीठ ने अफसोसनाक व अपमानजनक पाते हुए एक लाख रुपए कास्ट के साथ खारिज कर दिया है।