मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पहले बजट में शुरू की गई राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल योजना में कुछ संशोधन होने जा रहा है। फील्ड से आई रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार इस योजना में कुछ बदलाव करने वाली है। इसे ज्यादा व्यावहारिक बनाने के लिए शर्तों को बदला जाएगा। शिक्षा सचिव से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट के बाद ही अंतिम फैसला होगा। गौरतलब है कि अब तक राज्य सरकार को 18 विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल के लिए साइट मिली थी, लेकिन हाल ही की बरसात में हुई तबाही के बाद राज्य सरकार ने इन साइट्स का एक बार नए सिरे से निरीक्षण करने का फैसला किया था। इसकी एक वजह यह भी थी कि धर्मपुर चुनाव क्षेत्र के मढ़ी में बने अटल आदर्श विद्यालय के 45 करोड़ के भवन में पढऩे के लिए अब वहां बच्चे नहीं मिल रहे। इसलिए राज्य सरकार ऐसी साइट पर राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल बनाना चाहती है, जहां करीब 1000 बच्चा एडमिशन के लिए उपलब्ध हो। साइट के निरीक्षण के लिए विशेष सचिव शिक्षा को कहा गया था। वह दौरा करके आ गए हैं और अब सिर्फ दो जिले और बच्चे हैं।
अब तक की 18 साइट में से सिर्फ तीन उपयुक्त पाई गई हैं। बाकी साइट्स पर निर्माण करना है या नहीं? यह फैसला सरकार लेगी। इसीलिए अब शर्तों में छूट देने का फैसला लिया जा सकता है, ताकि शहर के पास ही जमीन मिले चाहे वह कम हो। राज्य सरकार ने शिक्षा सचिव को ही निर्देश दिए हैं कि पूर्व जयराम सरकार द्वारा तीन स्थानों पर बने अटल आदर्श विद्यालय भवनों का निरीक्षण करें और इनके इस्तेमाल के लिए सरकार को सुझाव दें। वर्तमान सरकार बन चुके भवनों का इस्तेमाल करना चाहती है। गौरतलब है कि जयराम सरकार ने यह स्कीम तो लांच कर दी थी, लेकिन भवन निर्माण से पहले फोरेस्ट क्लीयरेंस में अधिकांश केस फंस गए थे। जहां अभी भवन निर्माण नहीं हो पाया है, वहां अटल आदर्श विद्यालय अब नहीं बनेंगे।
हिमाचल में डिनोटिफाई किए गए स्कूलों और कम एनरोलमेंट के कारण बंद किए गए स्कूलों के भवन और अन्य संपत्तियां किसको ट्रांसफर की जाएगी? इस बारे में शिक्षा सचिव ने दोनों निर्देशकों से भी प्रस्ताव मांगा है। इससे पहले राज्य सरकार ने संबंधित जिलों के उपायुक्त से इस बारे में रिपोर्ट तलब की थी और उनसे पूछा था कि बंद किए गए स्कूलों की संपत्ति का इस्तेमाल कैसे हो सकता है? यह रिपोर्ट अभी सरकार तक पहुंची नहीं है। इसी बीच शिक्षा सचिव ने दोनों शिक्षा निदेशकों से भी पूछा है कि वह इस बारे में सरकार को प्रस्ताव दें। दोनों प्रस्ताव आने के बाद कैबिनेट के सामने सभी विकल्प रखे जाएंगे।