प्रदेश हाई कोर्ट ने चंबा जिला के मोटला गांव में पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से मलबा फेंकने पर कार्रवाई की मांग को लेकर दायर याचिका में कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार द्वारा पीडब्ल्यूडी ठेकेदार पर मात्र पांच लाख 81 हजार रुपए के जुर्माने पर असंतोष व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि जब लोक निर्माण विभाग ने खुद ही ठेकेदार द्वारा अवैध ढंग से फेंके गए मलबे को हटाने का खर्चा 64 लाख रुपए से अधिक आंका है, तो ठेकेदार पर इतना कम जुर्माना करने से वह संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी के दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर भी कोई जानकारी न देने को गंभीरता से लिया है। इस कारण कोर्ट ने सरकार को छह नवंबर तक मामले पर अनुपूरक शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए।
कोर्ट ने कहा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण चंबा के सचिव द्वारा नौ जून, 2021 को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक मोटला गांव में ठेकेदारों द्वारा सडक़ निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर मलबे की अवैध डंपिंग की थी। इसके बाद आज तक उपचारात्मक कार्रवाई के तौर पर केवल मात्र सीमित तौर पर मलबे को हटाया गया जबकि किसानों के खेतों से मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है। याचिकाकर्ता संजीवन सिंह की याचिका में आरोप लगाया है कि ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से पूरे गांव में मलबा भर गया है। इससे कई घरों और गोशालाओं को भारी क्षति हुई है। मामले पर सुनवाई छह नवंबर को निर्धारित की गई है।