प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा विधायकों अथवा सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने से जुड़े मामले में अहम जानकारियां तलब की है। कोर्ट ने उन विधायकों अथवा सांसदों से जुड़े मामलों के आरोप पत्रों की प्रतिलिपियां मांगी है, जिनके मामले सरकार वापस लेना चाहती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के गृह विभाग ने कोर्ट से माननीयों के खिलाफ ऐसे 65 अभियोगों को वापस लेने की अनुमति मांगी है, जो सरकार के अनुसार राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किए थे। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार से प्रत्येक मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर द्वारा मामला वापस लेने संबंधी राय भी पेश करने के आदेश दिए। सरकार द्वारा दायर आवेदन के माध्यम से कोर्ट को बताया है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत अन्य विधायकों के खिलाफ प्रदेश के दस जिलों की अदालतों में अपराधिक मामले चल रहे है।
सरकार का कहना है कि विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए है। कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक और सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्त किया है, लेकिन अभी तक सिर्फ सात मामलों का निपटारा ही किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अनुपालना करते हुए हाई कोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है और आदेश दिए हैं कि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए। मामले पर सुनवाई छह दिसंबर को निर्धारित की गई है।