हिमाचल प्रदाश में आई प्राकृतिक आपदा में दिन-रात राहत एवं बचाव कार्य में डटे रहे कई अधिकारियों को प्रदेश सरकार सम्मान देना भूल गई है। बीते दिनों मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर शिमला में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आपदा के दौरान बेहतरीन कार्य करने वाले विभागों और अधिकारियों को सम्मानित किया था, लेकिन आपदा प्रबंधन ऐसे अधिकारियों की सूची बनती बार कुछ ऐसे अफसरों को भूल गया, जो उस वक्त दिन-रात फील्ड में जुटे थे। इन्हें सम्मान देना तो दूर की बात, ऐसे काबिल अफसरों का इस सम्मान मंच से नाम तक नहीं लिया गया। प्रदेश में इस बार मानसून में भारी तबाही हुई, लेकिन प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सामूहिक प्रयासों से विभिन्न स्थानों में फंसे 75 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया और सभी आवश्यक सेवाएं अस्थायी रूप से बहाल की गईं। ट्रैफिक में फंसे लोगों के लिए खाने-पीने सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं, लेकिन आपदा की घड़ी में अपने परिवार को घर पर छोड़ जनता की सेवा डटे रहने वाले कई अधिकारियों को सरकार भूल गई है।
गौर हो कि हिमाचल में आपदा की घड़ी में बेहतर काम करने वाले पुलिस के दो बड़े अधिकारियों का सम्मान मंच से नाम तक नहीं लिया गया, जबकि शिमला शहर में ही करीब 30 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया। शिमला पुलिस ने जहां दिन रात शिवबाड़ी मंदिर के मलबे से शवों को निकाला, वहीं सडक़ों पर ट्रैफिक भी बहाल करवाया, लेकिन आपदा में बेहतर कार्य वाले कई अधिकारियों को सरकार भूल गई है। उधर, जब इस बारे में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डीसी राणा से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि कई अधिकारियों को सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी सम्मानित करने से रह गए हैं, उनकी सूची मांगी गई है।