चित्तौड़गढ़ जिले की 5 विधानसभा सीटों पर अभी तक कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का गृह क्षेत्र होने के बावजूद भाजपा की पहली लिस्ट में किसी का भी नाम नहीं आना, अब चर्चा का विषय बन गया है.
ऐसे में भाजपा के मौजूदा विधायक व टिकट मांग रहे दावेदारों की नींदे भी उड़ी हुई है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों का टिकट कटने की गाज चित्तौड़गढ़ जिले में भी दिखाई दे सकती है. जिले की पांच विधानसभा सीटों में से बड़ीसाड़ी, चित्तौड़गढ़ और कपासन सीट पर भाजपा के विधायक हैं. इन सीटों के अलावा बेगूं और निम्बाहेड़ा की सीटों पर आगामी चुनाव को लेकर यहां भाजपा से टिकट मांगने वालों की लिस्ट लम्बी है.
भाजपा की पहली लिस्ट में जिस तरह से जीते विधायकों को दरकिनार करके दूसरों को टिकट दिए गए हैं, उसके बाद यहां जिले की पांच सीटों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. कपासन, बड़ीसादड़ी, निम्बाहेड़ा व बेगूं की सीट पर टिकट किसी नए उम्मीदवार को मौका मिल सकता है.
वहीं चित्तौड़गढ़ सीट पर भाजपा विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या को टिकट मिलेगा या नहीं, इस पर भी सभी की निगाहें बनी हुई हैं. क्योंकि यह सीट जिला मुख्यालय की है और यहां पिछले दो विधानसभा चुनाव में लगातार चन्द्रभान सिंह आक्या ने बड़े मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. मेवाड़-वागड़ की 28 सीटों में से सिर्फ एक सीट अनुसूचित जाति की कपासन सीट रिजर्व है.
इधर कांग्रेस पार्टी की स्थिति भी ज्यादा ठीक नही है. जिले की पांच विधानसभा में निम्बाहेड़ा व बेगूं विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं. कपासन सीट पर बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने पर कांग्रेस लगातार दो बार चुनाव हार गई. यहां बाहरी प्रत्याशी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा हावी हैं. यहां गत विधानसभा चुनाव में आरएलपी उम्मीदवार को 27464 हजार से अधिक वोट मिले थे.
भाजपा की पहली उम्मीदवारों की लिस्ट के बाद जिस तरह से विरोध हो रहा है ऐसे में कांग्रेस भी उम्मीदवार उतारने से पहले गहन पड़ताल कर रही है.
कपासन सीट मेवाड़-वागड़ की 28 सीटों में से आरक्षित 17 सीटों में से सिर्फ एक सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. बाकी 16 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. बड़ीसादड़ी और चित्तौड़गढ़ सीट भी कांग्रेस के उम्मीदवार लगातार दो बार चुनाव हार गए. बेगूं विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह बिधूड़ी बाहरी प्रत्याशी होने के बावजूद पिछले तीन चुनाव में से दो बार विधायक बने हैं. यहां गुर्जर और धाकड़ समाज के मतदाता ज्यादा हैं.