हिमाचल में शिमला जिले के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान सिविल अस्पताल रोहड़ू में स्टाफ नर्सेज व फार्मासिस्ट के अधिकांश पद खाली पड़े हुए हैं. इस कारण मरीजों को मरहम पट्टी तक के लिए परेशानी आती है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मरीजों को हो रही परेशानी पर स्वत: संज्ञान लिया है. अदालत ने सख्ती दिखाते हुए सरकार से पूछा है कि इन खाली पदों को कब तक भरा जाएगा. साथ ही स्वास्थ्य निदेशक व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर रोहड़ू को इस मामले में प्रतिवादी बनाया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. खंडपीठ ने रोहड़ू सिविल अस्पताल में व्यवस्था दुरुस्त न होने पर नाखुशी जताई.
हाई कोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को निर्धारित की है. अगली सुनवाई पर सरकार को अस्पताल में खाली पड़े पदों को भरने के संदर्भ में जवाब देना होगा. मीडिया में आई खबरों के अनुसार रोहड़ू सिविल अस्पताल में स्टाफ नर्सिज के 31 पद सृजित हैं. इसमें से आधे खाली चल रहे हैं. हाल ही में कोविड के समय आउटसोर्स आधार पर भरे गए नर्सिज को भी सेवाओं से हटाया गया है. सिविल अस्पताल रोहड़ू व आसपास के इलाकों की जनता को सेवाएं देता है.यहां रोजाना 400 से 500 मरीज ओपीडी में आते हैं. स्टाफ नर्स के कई पद खाली हैं और साथ ही फार्मासिस्ट के कुल सृजित नौ पदों में से भी सभी भरे नहीं गए हैं. इस कारण अकसर मरहम पट्टी भी डॉक्टर्स को ही करनी पड़ती है. अदालत को बताया गया कि सरकार से खाली पड़े पदों को भरने के लिए कई बार आग्रह किया गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस पर अदालत ने न केवल सरकार से जवाब मांगा है, बल्कि खाली पड़े पदों को भरने की समय सीमा पर भी अपना पक्ष स्पष्ट करने के आदेश जारी किए हैं.