हिमाचल में संजीवनी परियोजना के तहत मोबाइल वैटरिनरी एंबुलेंस चलाई जाएगी। पशुपालन विभाग की ओर से गाडिय़ों की खरीद के बाद अब उन्हें एंबुलेंस में तबदील कर दिया है। मोबाइल वैटरिनरी एंबुलेंस चलाने के लिए अब पशुपालन विभाग की ओर से टेंडर किए गए है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश में मोबाइल वैटरिनरी एंबुलेंस चलना शुरू हो जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नवंबर महीने से वैटरिनरी एंबुलेंस चलनी शुरू हो जाएगी। संजीवनी परियोजना के माध्यम से प्रदेश के 44 विकास खंडों में पशु मोबाइल क्लीनिक की सुविधा शुरू की जा रही है। प्रदेश में में कुल पशुधन आबादी लगभग 44.10 लाख है।
इनकी देखभाल प्रत्येक ग्रामीण परिवार का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके लिए इंडसइंड बैंक के साथ पहले ही एमओयू साइन किया था। शुरुआत में विभाग ने एक एक मोबाइल वैन को बतौर प्रोटोटाइप तैयार किया है। इसी तरह से सभी मोबाइल एंबुलेंस चलाई जाएगी। यदि राज्य सरकार के आदेशानुरूप यह मोबाइल वैन दुरुस्त होगी तो सभी 44 वैन के आर्डर प्लेस किए जाएंगे और यदि इसमें खामियां होगी, तो इन्हें दुरुस्त बनाने के लिए कहा जाएगा।
प्रदेश के 12 जिलों में स्थित 44 खंडों में किसानों को सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। राज्य में केंद्रीकृत कॉल सेंटर को इन 44 मोबाइल पशु चिकित्सा एंबुलेंस के साथ एकीकृत किया जाएगा। इससे पशु औषधालयों तक जाने और बीमार पशुओं के लिए गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्राप्त करने पर किसानों का अतिरिक्त खर्च व समय बच सकेगा। इस योजना के तहत पशुपालकों के लिए विभिन्न पशु चिकित्सा सेवाएं सिर्फ एक फोन कॉल पर उपलब्ध होंगी।
परियोजना के तहत पशुधन से संबंधित विभिन्न मामलों के लिए निदेशालय स्तर पर एकीकृत कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह केंद्र पशुपालकों को टेली-मेडिकल-परामर्श, सरकारी योजनाओं, पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम, शिकायत निवारण, प्रश्न-समाधान आदि जैसे विभिन्न पहलुओं पर व्यक्तिगत सहायता प्रदान करेगा।