गुजरात एवं कोलकाता के बाद पंजाब और चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन ने भी हिमाचल प्रदेश का बायकॉट कर दिया है। पंजाब और चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि हिमाचल प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त टैक्स वापस नहीं लिया, तो 15 अक्तूबर से वह हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सभी सीमाओं को सील कर देंगे और टैक्सी-मैक्सी को नहीं जाने दिया जाएगा। हिमाचल में बाहरी राज्यों से आने वाली टैक्सी ऑपरेटरों से लिए जाने वाले अतिरिक्त टैक्स को लेकर पंजाब टैक्सी ऑपरेटरों का विवाद नहीं थमा रहा है। पंजाब के आजाद टैक्सी ऑपरेटर्ज यूनियन के अध्यक्ष शरणजीत सिंह कलसी ने कहा कि बीते सितंबर माह में पंजाब की टैक्सी, मैक्सी को हिमाचल में आने के लिए अतिरिक्त टैक्स को लेकर परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों से मुलाकात की गई थी। तब अधिकारियों ने आश्वस्त किया था कि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से इस विषय पर बात की जाएगी, लेकिन इस पर कोई बात नहीं हुई। इसके बाद 18 सितंबर को परवाणू में सांकेतिक धरना किया, जिस पर उपायुक्त सोलन ने भी आश्वस्त किया कि जल्द ही मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से बैठक की जाएगी और इसके लिए 27 व 28 तारीख का समय दिया। फिर भी प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त टैक्स वापस नहीं लिया है।
गौर हो कि हिमाचल में प्रदेश सरकार ने बाहरी राज्यों से आने वाली टैक्सी-मैक्सी पर अतिरिक्त टैक्स लगाया है। ऐसे में पंजाब के टैक्सी ऑपरेटर्ज भड़क गए हैं। पंजाब के टैक्सी ऑपरेटरों को कहना है कि पंजाब की सभी टैक्सी-मैक्सी के पास परमिट हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार टैक्स ले रही है। सरकार द्वारा प्रतिदिन पांच हजार टैक्स लिया जा रहा है। ऐसें में टैक्सी ऑपरेटरों को तेल भी अपनी जेब से डालना पड़ रहा है। ऐसे में पंजाब के टैक्सी ऑपरेटर्ज क्या कमाएंगे। होटल एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव मोहेंद्र सेठ का कहना है कि पंजाब और चंडीगढ़ टैक्सी यूनियन के हिमाचल प्रदेश को बॉयकाट करने से सबसे ज्यादा होटल इंडस्ट्री प्रभावित होगी। पहले से ही आपदा के कारण प्रदेश में टूरिज्म प्रभावित हुआ है। होटल खाली चल रहे हैं और गुजरात एवं कोलकाता के टैक्सी चालक भी बायकॉट कर चुके हैं। टैक्सी चालकों के इस बायकॉट से फरवरी माह तक भी भरपाई नहीं हो पाएगी। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि बाहरी राज्यों के वाहनों पर लगाए गए अतिरिक्त टैक्स को वापस लिया जाए। महेंद्र सेठ ने कहा कि होटल इंडस्ट्री इस तरह से प्रभावित हो चुकी है कि बैंक के लोन भी एनपीए होने की कगार पर हैं।