कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम, 1952 (ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952) भारत की संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था. यह अधिनियम कर्मचारी को सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) के बाद या किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद आश्रितों (डिपेंडेंट) के लिए भविष्य प्रदान करता है. काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और बेरोजगारी, बुढ़ापा, बीमारी और अक्षमता और अनिश्चितता के मामले में सहायता प्रदान करने के लिए अधिनियम को अनुच्छेद 41 के अनुसार अधिनियमित किया गया है. दूसरे शब्दों में ईपीएफ कर्मचारियों के लिए एक सेवानिवृत्ति योजना है. वर्तमान में, इस अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित तीन योजनाएँ लागू हैं:कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952कर्मचारी डिपॉजिट लिंक्ड बीमा योजना, 1976कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (कर्मचारी परिवार पेंशन योजना, 1971 की जगह)ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 धारा 16 में निहित प्रावधानों के अधीन पूरे भारत में लागू है. आइए जानते है ये किस पर लागू होता है-
प्रत्येक कारखाना (फैक्टरी) जहां 20 या अधिक व्यक्ति कार्यरत (एंप्लॉयड) हैंहर दूसरे प्रतिष्ठान (एस्टेब्लिशमेंट) जहां 20 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं या ऐसे प्रतिष्ठानों की श्रेणी केंद्र सरकार सूचित कर सकती है.केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित कोई अन्य प्रतिष्ठान जहां भले ही 20 से कम व्यक्ति कार्यरत हों.ईपीएफ, ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 की मुख्य योजना है. यह प्रत्येक कार्यरत व्यक्ति पर लागू होता है जो प्रति माह 15000/- से कम वेतन प्राप्त कर रहा है. ईपीएफ सदस्यों को ईपीएफओ में योगदान का भुगतान करना होता है और नियोक्ताओं(employer) को ईपीएफ सदस्यों के लिए समान योगदान का भुगतान करना होता है. नियोक्ता(employer) , कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के योगदान को ईपीएफओ में जमा करने के लिए जिम्मेदार है. अनुबंध कर्मचारियों के मामले में पीएफ अंशदान (कंट्रीब्यूशन) की कटौती और जमा करने के लिए ठेकेदार (कॉन्ट्रैक्टर) जिम्मेदार है. यदि कोई ठेकेदार अनुपालन करने में विफल रहता है, तो मुख्य नियोक्ता अनुपालन करने के लिए जिम्मेदार है.
धारा 6 के तहत, कर्मचारी(employee) और नियोक्ता(employer) को देय मूल वेतन और महंगाई भत्ता (यदि कोई हो) के 12% की दर से काटे जाने वाले पीएफ के योगदान को इस संबंध में समान योगदान करने की आवश्यकता है. पीएफ काटने के लिए पीएफ वेतन की अधिकतम सीमा 15000/- प्रति माह है. नियोक्ता के अंशदान को दो भागों में बांटा जाएगा एक 3.67% भविष्य निधि में जाता है और दूसरा 8.33% पेंशन निधि में जाता है.
इसके अतिरिक्त नियोक्ताओं को क्रमशः पीएफ मजदूरी के 0.5% की दर से ईडीएलआई शुल्क और ईपीएफ प्रशासन शुल्क का योगदान करने की आवश्यकता है. न्यूनतम 500/- रुपए ईपीएफ प्रशासन शुल्क के रूप में देय है.