राजधानी पटना के बिहटा में बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर में भादो माह के त्रयोदशी की अंधेरी रात में जलाभिषेक की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है. पटना कलेक्ट्रेट घाट से गंगाजल भरकर हजारों की संख्या में श्रद्धालु 54 फीट के कांवर को लेकर बिहटा के प्राचीन बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर पहुंचे हैं. जहां तमाम लोगों ने बाबा के ऊपर जलाभिषेक किया. इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर के परिसर में लगी दिखी.
पटना के कलेक्ट्रेट घाट से गंगाजल उठाकर 54 फीट के कांवर के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल ही बाबा बिटेश्वरनाथ मंदिर के आते हैं. इस दौरान सभी जगहों पर लोग श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए मौजूद रहते हैं. स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन के तरफ से तमाम जगहों पर पुलिस बल की तैनाती की जाती है. यह परंपरा पिछले कई से होती चली आ रही है. बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त डाक कांवरिया संघ के द्वारा इसका आयोजन किया जाता है.
दरअसल यह परंपरा उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड डाक कांवड़ संघ के द्वारा संचालित होता आ रहा है. जहां उत्तर प्रदेश बलिया के प्रतापी प्रताप बाबा ने वर्ष 2009 और 2010 में सावन माह के प्रत्येक दिन डाक कावड़ लेकर देवघर के शिव मंदिर में जलाभिषेक किया. उन्होंने बताया कि उनके दर्शन के बाद लोगों ने बिहटा के बिटेश्वरनाथ बाबा के बारे में इसकी जानकारी दी.
प्रताप बाबा ने 54 फीट के कांवर से बिटेश्वरनाथ बाबा के जलाभिषेक का विधिवत पूजा अर्चना करने की बात बताई. प्रत्येक वर्ष भक्तगण पटना के कलेक्ट्रेट घाट से जल लेकर चितकारा बाजार, फुलवारी शरीफ होते हुए बिटेश्वरनाथ बाबा पर जलाभिषेक करते रहे हैं. इस बार डाक कांवड़ बम में 10 हजार से अधिक लोगों ने शामिल होकर बिटेश्वरनाथ बाबा का जलाभिषेक किया.
वहीं बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश के डाक कांवरिया संघ के सचिव कमलेश कुमार पांडे ने बताया कि यह परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही है. जिसमें आसपास के प्रदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं. पटना के कलेक्ट्रेट घाट से गंगाजल उठाकर बाबा का नाम लेते हुए बिहटा के ऐतिहासिक प्राचीन बिटेश्वरनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं.