आश्विन माह हिंदू कैलेंडर का सातवां महीना है. आश्विन माह में पितरों की पूजा के लिए समर्पित पितृ पक्ष पूरे कृष्ण पक्ष में होता है. ये 15 दिन पितृ दोष मुक्ति और पितरों की तृप्ति के लिए होते हैं. उसके बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है. पितरों की पूजा के बाद मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का उत्सव नवरात्रि कलश स्थापना के साथ प्रारंभ होती है. इसमें विजयादशमी यानि दशहरा, रावण दहन, दुर्गा पूजा, दुर्गा विसर्जन होता है. आश्विन माह में जितिया, शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण व्रत और पर्व होते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि आश्विन माह कब से शुरू हो रहा है? आश्विन माह में क्या करें और क्या न करें?
इस साल आश्विन माह का प्रारंभ 30 सितंबर दिन शनिवार से हो रहा है. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 सितंबर को है. प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 29 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 03:26 बजे से हो रहा है और यह 30 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे तक है. आश्विन माह का समापन 28 अक्टूबर दिन शनिवार को आश्विन पूर्णिमा के दिन होगा. उस दिन शरद पूर्णिमा होगी. शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या पूनम पूर्णिमा भी कहते हैं.
आश्विन का महीना पितर और देवों की पूजा के लिए विशेष है. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, ब्राह्मण भोज आदि किया जाता है. पितृ पक्ष की तिथियों पर पितरों की पूजा करके उनको तृप्त करते हैं. सर्वपितृ अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि मनाई जाती है. इसमें 9 देवियों की पूजा करते हैं. अष्टमी के दिन कन्या पूजा और नवमी तिथि को नवरात्रि का हवन करते हैं.
इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक है. शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर तक है. विजयादशमी 14 अक्टूबर को है. इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर को है.