नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अपनी 15 दिन की बेहद लंबी विदेश यात्रा के बाद राजधानी काठमांडू वापस लौट आए हैं।। पीएम प्रचंड की इस यात्रा पर नेपाल में विपक्षी दलों के साथ-साथ सहयोगी दल भी भड़के हुए हैं। प्रचंड के विरोधी पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा कि किसी देश के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है कि उसका प्रधानमंत्री 15 दिन तक विदेश यात्रा पर बिताए और संसदीय प्रक्रिया को बाधित करे। वहीं आलोचक यह भी कह रहे हैं कि पीएम प्रचंड की चीन यात्रा कोई खास नहीं रही और चीन ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा संभवत: पहली बार है जब नेपाल के प्रधानमंत्री करीब 15 दिनों तक लगातार विदेश यात्रा पर रहे। वह भी तब जब नेपाल के अंदर डॉक्टर और शिक्षक जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नेपाल में त्योहारी मौसम शुरू होने से ठीक पहले जरूरी सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं। यही नहीं संसद की कार्यवाही को भी सत्ता पक्ष की नाकामी की वजह से बार-बार स्थगित करना पड़ रहा है। प्रचंड 16 सितंबर को अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए रवाना हुए थे। वह 22 सितंबर को चीन के हांगझाऊ शहर पहुंचे थे।
अपनी चीन यात्रा के दौरान प्रचंड ने 12 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किया। इसके बाद नेपाली पीएम अपने दल-बल के साथ कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा पर गए। वह पहले ऐसे नेपाली प्रधानमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए। इससे पहले वह भारत यात्रा के दौरान उज्जैन के महाकाल भगवान शिव के मंदिर में गए थे। प्रचंड की इस लंबी विदेश यात्रा पर केपी ओली भड़क उठे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम के लिए यह शोभा नहीं देता है कि वह इतनी लंबी यात्रा पर जाएं। वहीं कई विश्लेषकों का कहना है कि प्रचंड ने इस यात्रा के जरिए पैसा ही बचाया है।
काठमांडू पोस्ट ने कहा कि प्रचंड अपनी चीन यात्रा के दौरान कुछ प्रमुख डील नहीं कर पाए जिसका वादा वह संसद और जनसभाओं में करके गए थे। इसमें सीमा पार बिजली व्यापार, पोखरा एयरपोर्ट के लोन की माफी और बीआरआई के तहत बड़े पैमाने पर ग्रांट हासिल करना शामिल था। इन पर कोई खास प्रगति नहीं हुई। इस बीच प्रचंड के गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता शेखर कोईराला ने भी कहा कि निश्चित रूप से नेपाली पीएम की दोनों यात्राएं बहुत लंबी थीं। वह भी तब जब देश में सामाजिक, आर्थिक और अन्य संकट चल रहा है। इस बीच चीन में नेपाल के राजदूत ने कहा कि लॉजिस्टिक की दिक्कतों की वजह से ये यात्राएं ज्यादा लंबी हो गईं।