हिंद महासागर पर मौजूद वह देश जो रणनीतिक तौर पर भारत के लिए काफी अहमियत रखता है। इस देश में हाल ही में चुनाव हुए हैं और अब यहां पर कमान मोहम्मद मुइज्जू के हाथ में है। चीन के समर्थक मुहज्जू देश के नए राष्ट्रपति हैं और उनके सत्ता में आते ही भारत के रणनीतिक विशेषज्ञों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से मुइज्जू को बधाई दी गई है। पीएम मोदी ने ट्वीट में मुइज्जू को देश का राष्ट्रपति बनने की बधाई दी है। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को लेकर भी एक बड़ी बात कही है।
मालदीव के नए राष्ट्रपति के तौर पर मुइज्जू ने अपने सबसे बड़े पड़ोसी भारत के साथ संबंधों को लेकर आशंका पैदा कर दी है। राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम दौर में के नतीजे आए। इनके साथ ही साफ हो गया कि मुइज्जू ने 54 फीसदी वोट हासिल करके मोहम्मद सोलिह को मजबूती से हरा दिया दिया है। इस बार चुनावों में मालदीव के 86 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाले हैं। मुइज्जू पर भरोसा करना भारत के लिए मुश्किल है। पीएम मोदी ने मुइज्जू को शुभकामनाएं देते हुए कहा किभारत सरकार समय-समय पर परखे गए भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मालदीव के नए राष्ट्रपति के सलाहकार ने भी भारत को हिंद महासागर की सुरक्षा पर भरोसा दिलाया है। वेबसाइट द वायर के मोहम्मद शरीफ ‘मुंडू’ को नहीं लगता कि भारत को इस बात से चिंतित होना चाहिए कि नई सरकार, नई दिल्ली के प्रति दुश्मनी वाला रवैया रखेगी। मुंडू पीपीएम के उपाध्यक्ष भी हैं और श्रीलंका और जापान में मालदीव के पूर्व राजदूत रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मुइज्जू उस गठबंधन प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के नेता हैं जिसने भारत के खिलाफ एक सफल अभियान का नेतृत्व किया था। इस कैंपेन में भारत के साथ सोलिह ने जिस तरह से रिश्तों को आगे बढ़ाया था, उसकी आलोचना की गई थी।
मुइज्जू को पूर्व राष्ट्रपति और पीपीएम नेता अब्दुल्ला यामीन की तरह ही हर बार चीन के साथ को बीजिंग के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ माना जाता था। यामीन सरकार के पांच वर्षों के दौरान मालदीव के साथ भारत के रिश्ते खराब रहे। जून 2018 में यामीन ने भारत से अपने क्रू के साथ ही हेलीकॉप्टर्स को भी वापस लेने के लिए कहा था। साल 2018 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद, विपक्ष ने चिंता जताई थी। विपक्ष ने दावा किया था कि भारतीय सेना की मौजूदगी के साथ ही मालदीव को भी भारत को सौंप दिया गया है।
मुंडू के मुताबिक चीन के बारे में सभी तरह की आशंकाएं गलत हैं। उन्होंने दावा किया कि मालदीव भी हिंद महासागर की सुरक्षा को काफी महत्व देता है। ऐसे में मुइज्जू भी भारत के साथ काम करना चाहते हैं। साथ ही मुंडू ने इस बात को भी जोर देकर कहा है कि भारत सबसे बड़ा हितधारक बना रहेगा। मालदीव की यह परंपरा रही है कि नया राष्ट्रपति हमेशा सबसे पहले भारत यात्रा पर जाता है। मुंडू ने भरोसा दिलाया है कि मुइज्जू उस परंपरा को जारी रखना चाहेंगे। उनकी मानें तो नई सरकार के लिए भी भारत निकटतम और सबसे प्रिय पड़ोसी होगा।