पाकिस्तान-रूस एलपीजी की डिलिवरी पर अब आमने सामने हैं। राजधानी इस्लामाबाद में रूस के दूतावास की तरफ से बताया गया है कि एलपीजी की पहली खेप हासिल हो गई है। रूस की तरफ पाकिस्तान को मिली यह दूसरी एनर्जी सप्लाई है। एलपीजी की रूस से पहले ईरान पहुंची और फिर पाकिस्तान आई है। लेकिन अब इसी विषय पर दोनों देश आमने-सामने हैं। पाकिस्तान को रूस से एक लाख मीट्रिक टन गैस की सप्लाई हुई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इस वर्ष की शुरुआत में दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत पाकिस्तान को कच्चे तेल की पहली डिलीवरी के बाद गैस की सप्लाई की गई है।
रुस के दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि रूस ने ईरान के सरख्स स्पेशल इकोनॉमिक जोन से पाकिस्तान को गैस की आपूर्ति की है। वहीं दूसरी खेप पर अभी बातचीत जारी है। गैस की डिलिवरी ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान भयानक भुगतान संतुलन संकट से गुजर रहा है। यह ऊर्जा आयात पाकिस्तान के अधिकांश बाहरी भुगतानों को पूरा करता है। इसकी वजह से पाकिस्तान को रूस से रियायती ईंधन मिला है जिसने कुछ राहत भी दी है। इस्लामाबाद भुगतान संकट का सामना कर रहा है। इसकी वजह से उस पर डिफॉल्ट होने की खतरा भी बढ़ गया है।
जनवरी 2023 में रूस और पाकिस्तान के बीच एनर्जी डील को अंतिम रूप दिया गया था। इसके लिए रूस से एक प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद पहुंचा था। तीन दिनों तक चली मीटिंग के दौरान दोनों देश इस फैसले पर पहुंचे थे कि इस साल मार्च के अंत तक एक डील फाइनल की जाएगी। लेकिन इससे पहले सभी तकनीकी मुद्दे जिसमें इंश्योरेंस, ट्रांसपोर्टेशन और पेमेंट जैसे मसले शामिल हैं, उन्हें भी सुलझा लेने की बात कही गई थी। दोनों देशों ने तब एक संयुक्त बयान जारी किया था। इसमें में कहा गया था, ‘तकनीकी मसलों पर सहमति के बाद, तेल और गैस व्यापार लेनदेन को इस तरह से आगे बढ़ाया जाएगा कि इससे दोनों देशों को आर्थिक फायदा होगा।’
मंगलवार को जो खेप पहुंची वह विवादों में घिर गई है। रॉयटर्स ने पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय के हवाले से कहा है कि जमीन के रास्ते ईरान से प्राइवेट कंपनियों से आयात की जाने वाली एलपीजी रूस की हो सकती है। ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि सरकार कभी खुद ईधन का आयात नहीं करती है। वहीं इस पूरे मामले पर रूस के दूतावास की तरफ से कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है। सूत्रों की तरफ से अब इस सप्लाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पाकिस्तान के एनर्जी सेक्टर से जुड़े सूत्रों की मानें तो एलपीजी की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि सड़क के रास्ते लाना मुश्किल था। सूत्रों का कहना है कि इतनी गैस को करीब 4000 कंटेनरों की मदद से देश में लाया जा सकता है।
रूस में एक सूत्र की तरफ से बताया गया है कि फरवरी और अप्रैल के बीच मुख्य रुप से गैजप्रॉम के मालिकाना हक वाले ईरान के सरख्स को एलपीजी शिपमेंट करीब 5000 टन था। सूत्र की तरफ से बताया गया है कि उन्हें नहीं मालूम कि आखिर पांच हजार टन में से कौन सा हिस्सा ईरान से पाकिस्तान पहुंचाया गया। कच्चे तेल की डील के समय रूस ने कहा था कि पाकिस्तान को रूसी निजी क्षेत्र के जरिए एलपीजी खरीद की जरूरत होगी। पाकिस्तान ने कहा है कि उसने रूसी कच्चे तेल के लिए चीनी मुद्रा में भुगतान किया था लेकिन सौदे के कीमतों को कभी खुलासा नहीं किया गया।