डॅा. राधा कृष्णन मेडिकल कालेज हमीरपुर में स्टेशनरी और प्रिंटिंग के लिए किए टेंडर में गड़बड़ सामने आई है। आरोप है कि अपनी मनचाही पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए फाइल के बीच से पन्नों में टैंपरिंग की गई। इस झोलमाल में संबंधित ब्रांच में काम करने वाले मुलाजिमों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि विभाग के कर्मचारी की मिलीभगत के बिना अलमारी के अंदर रखी फाइल से छेड़छाड़ करना संभव नहीं है। यही नहीं, इससे अधिक चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि इस मामले में मेडिकल कालेज प्रबंधन की ओर से जो जांच करवाई गई वो भी मात्र खानापूर्ति साबित हुई क्योंकि 29 अगस्त को सौंपी गई जांच की रिपोर्ट पर एक महीने बाद भी किसी तरह की कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। जानकारी के मुताबिक हमीरपुर मेडिकल कालेज में स्टेशनरी और प्रिंटिंग के लिए करीब 200 आइटम की खरीद के लिए एक टेंडर निकाला था।
सूत्रों के अनुसार इस टेंडर में जो सबसे लोअस्ट बिडर था उसकी पांच पन्नों की फाइल में से पेज नंबर तीन और चार पर अंकित 87 अर्टिकल से किसी ने बाद में छेड़छाड़ कर दी। जिसमें अधिकारियों के हस्ताक्षरों से लेकर पेन की स्याही और राइटिंग में भी भिन्नता थी। इस मामले की शिकायत मेडिकल कालेज प्रबंधन से की गई तो मामले की जांच बिठा दी गई। बताते है कि एचएएस रैंक के अधिकारी एडिशन डायरेक्टर (प्रशासन) को जांच का जिम्मा सौंपा गया। जांच अधिकारी की जांच में पाया गया कि फाइल से छेड़छाड़ की गई है और उसमें स्टाफ के कर्मचारियों की भी मिलीभगत रही है। क्योंकि स्टाफ की मिलीभगत के बिना एक सरकारी दस्तावेज से छेडख़ानी करना संभव नहीं है। जांच अधिकारी ने जांच के बाद 29 अगस्त को जो रिपोर्ट मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल को सौंपी उसमें फाइल से टेंपरिंग करने वाली कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने, इस टेंडर को रद्द करने , कंपनी को पांच साल के लिए मेडिकल कालेज से ब्लैकलिस्ट करने और गड़बड़झाले में संलिप्त कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का अनुरोध किया था। लेकिन हैरत की बात है कि एक महीने बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और 18 सितंबर को नया टेंडर जारी कर दिया गया जिसे न तो कहीं पब्लिश किया गया न ही नोटिस बोर्ड पर उस टेंडर की कोई प्रतिलिपी लगाई गई। केवल 5-6 फर्मों को कापी भेजकर खानापूर्ति कर दी गई।
एमएस अनिल वर्मा ने बताया कि हमारे पास पहले मौखिक रूप से शिकायत आई थी तो हमने रिटन में कंप्लेट मांगी थी जिसके बाद इस मामले में प्रिंसीपल ऑफिस को सूचित किया गया था और एडिशनल डायरेक्टर को जांच का जिम्मा सौंपा था। इस मामले में जांच की जा रही है।
इस मामले के जांच अधिकारी और मेडिकल कालेज के एडिशनल डायरेक्टर डा. विक्रम महाजन से जब दूरभाष पर इस बारे में संपर्क किया गया, तो उनका कहना था कि उन्होंने मामले की इन्क्वायरी की है और सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रिंसीपल को सौंपी है। उनका कहना था कि इससे अधिक वे कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं है।