ताइवान ने चीन के खिलाफ अपनी रक्षात्मक क्षमता बढ़ाते हुए पहली स्वदेशी पनडुब्बी लॉन्च की है। इस पनडुब्बी का नाम हाइकुन रखा गया है, जिसका अर्थ पौराणिक समुद्री जीव होता है। हाइकुन पनडुब्बी को ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने गुरुवार को ताइवान के दक्षिणी बंदरगाह शहर काऊशुंग में लॉन्च किया। आने वाले हफ्तों में इस पनडु्ब्बी का समुद्री ट्रायल किया जाएगा। इस पनडुब्बी को चीन के लिए सीधा खतरा माना जा रहा है। पनडुब्बियां पानी के नीचे हफ्तों तक छिपी हुई रह सकती है और दुश्मन के खिलाफ बड़े हमले को अंजाम दे सकती हैं। हालांकि, चीन ने इस पनडुब्बी को लेकर कहा कि यह ताइवान के लिए दिन का सपने जैसा है. चीन शुरू से ही ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और सेना के दम पर कब्जे की धमकी देता है।
हाइकुन की लॉन्चिंग के दौरान राष्ट्रपति त्साई ने कहा है कि अतीत में स्वदेशी पनडुब्बी को असंभव माना जाता था, लेकिन आज हमारे देशवासियों के द्वारा डिजाइन और निर्मित पनडुब्बी आपके सामने है। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो पहली पनडुब्बी 2024 के अंत तक डिलीवरी के लिए तैयार हो जाएगी और दूसरी के 2027 तक पूरी करने की योजना है। इससे ताइवान की सामरिक क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होने का अनुमान है। ताइवान की सरकार ने यह भी कहा कि स्वदेशी पनडुब्बियां चीन को फर्स्ट आइलैंड चेन यानी ताइवान, जापान, फिलीपींस और इंडोनेशिया को जोड़ने वाली एक काल्पनिक रक्षा रेखा को बायपास करने से रोक सकती हैं।
ताइवान की पहली स्वदेशी पनडुब्बी की लागत 1.54 बिलियन डॉलर है। एक डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी के लिए इतनी राशि काफी ज्यादा मानी जाती है, लेकिन स्वदेशी तौर पर क्षमता हासिल करने के आगे यह कुछ भीी नहीं है। यह पनडुब्बी चीनी नौसेना को ताइवान और उसके बाहरी क्षेत्रों की रक्षा करने में सहायता प्रदान करेगी। ताइवान की बाकी की स्वदेशी पनडुब्बियां भी चीन की नौसेना को द्वीप को घेरने और उसे बाहरी संसाधनों से काटने से रोक सकती हैं। अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है या आक्रमण करता है तो यह पनडुब्बी दुश्मन के खिलाफ प्रभावी भूमिका निभा सकती है।
पनडुब्बियां ताइवान की चीनी हमले के खिलाफ निरोध की समग्र रणनीति का हिस्सा हैं। हालांकि, इनकी संख्या चीन की तुलना में काफी छोटी है। ताइवान का लक्ष्य हमले को जितना संभव हो उतना कठिन बनाना है ताकि चीन के लिए इसे सार्थक बनाना बहुत महंगा हो। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। ऐसे में ताइवान से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह चीन के बराबर टक्कर देने वाली नौसेना का निर्माण करे। लेकिन, ताइवान अपने मित्र देशों की मदद से चीन को हर मोर्चे पर कड़ी टक्कर दे सकता है।
ताइवान का लक्ष्य 1980 के दशक के दो डच निर्मित पनडुब्बियों के मौजूदा बेड़े और द्वितीय विश्व युद्ध के युग की अमेरिकी पनडुब्बी को केवल प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल करने के लिए आठ डीजल-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करना है। नए मॉडल लॉकहीड मार्टिन कॉर्प कॉम्बैट सिस्टम और यूएस-निर्मित एमके-48 हैवीवेट टॉरपीडो से लैस होंगे।