रूस-यूक्रेन युद्ध जितना अधिक लंबा खिंचता जा रहा है, उतना ही तीसरे विश्व युद्ध का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. रूस-चीन और उत्तर कोरिया तीन महाशक्तियां अब एक नए एलायंस की ओर बढ़ रही हैं. पश्चिमी देशों से मुकाबले के लिए रूस ने खुले तौर पर बीजिंग को और अधिक करीब आने का निमंत्रण दिया है. अभी कुछ दिनों पहले ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी और राष्ट्रपति पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता भी की थी. इसके अलावा पिछले हफ्ते ही उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने 6 दिनों की रूस यात्रा की. इसके बाद अब तीनों देशों का एलायंस नाटो समेत पश्चिमी देशों को डराने लगा है. इस बीच रूस ने पश्चिमी देशों से मुकाबले के लिए बीजिंग को और करीब आने की बात कहकर नई चुनौती पैदा कर दी है.
सुरक्षा वार्ता के लिए मॉस्को पहुंचे चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक की मेजबानी कर रहे रूस ने दोनों देशों को नियंत्रित करने के पश्चिमी देशों के कथित प्रयासों का मुकाबला करने के वास्ते नीतिगत मामलों में रूस और चीन के बीच घनिष्ठ समन्वय का आह्वान किया है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता वाले रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मंगलवार को कहा कि मॉस्को ‘‘रूस और चीन के बीच मौजूद व्यापक साझेदारी एवं रणनीतिक सहयोग में और प्रगति एवं मजबूती चाहता है.
पेत्रुशेव ने कहा, ‘‘पश्चिमी देशों द्वारा रूस और चीन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सामूहिक रूप से चलाए जा रहे अभियान के बीच अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में रूस-चीन समन्वय एवं संवाद को और मजबूत करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने बताया कि पुतिन अगले महीने चीन की ‘‘बेल्ट एंड रोड’’ बुनियादी ढांचा पहल के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए बीजिंग की यात्रा करेंगे और इस दौरान उनके व चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच ‘अहम’ वार्ता हो सकती है. पेत्रुशेव लंबे समय से पुतिन के करीबी सहयोगी रहे हैं. उन्होंने ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों पर बीजिंग की नीति के लिए रूस के ‘‘बिना शर्त’’ समर्थन की पुष्टि की. पेत्रुशेव ने आरोप लगाया कि ‘‘चीन को बदनाम करने के लिए पश्चिमी देश ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताकर उस पर दावा जताता है. वह द्वीप के चारों तरफ हवा और पानी में लगातार बड़े सैन्य अभ्यास कर रहा है. उसने देश के उन क्षेत्रों में विरोध की किसी भी आशंका को खत्म करने के लिए कड़े उपाय अपनाए हैं, जहां बड़ी संख्या में तिब्बती और उइगर सहित अन्य जातीय एवं धार्मिक समुदाय के लोग रहते हैं. पश्चिमी देशों ने चीन की कठोर नीतियों की कड़ी आलोचना की है. वहीं, क्रेमलिन ने लगातार बीजिंग के लिए समर्थन व्यक्त किया है, क्योंकि पश्चिमी देशों से बिगड़ते संबंधों के बीच रूस और चीन तेजी से करीब आ रहे हैं. चीन ने पिछले महीने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार में मदद की थी, जिसके तहत छह और देशों को पांच देशों के इस समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था.