डेढ़ साल से जारी जंग के बीच रूस और यूक्रेन सोमवार (18 सितंबर) को यूएन की इंटरनेशनल कोर्ट के समक्ष एक मामले में आमने-सामने होंगे. दरअसल, यूक्रेन ने रूस के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट में अर्जी दी थी. इस मामले की सुनवाई हेग में हो रही है.
गौरतलब है कि पिछले साल 24 फरवरी को रूसी आक्रमण के कुछ ही दिनों बाद यूक्रेन इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत में लाया था. कीव का तर्क है कि रूस यह कहकर अंतरराष्ट्रीय कानून का दुरुपयोग कर रहा है कि पूर्वी यूक्रेन में कथित नरसंहार को रोकने के लिए उसका आक्रमण उचित था. बता दें कि रूसी अधिकारी यूक्रेन पर नरसंहार करने का आरोप लगाते रहते हैं.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस चाहता है कि मामले को खारिज कर दिया जाए और इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ ) के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई जाए. रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार से शुरू हो रही यह सुनाई 27 सितंबर तक चलने वाली है. सुनवाई के दौरान कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के बारे में कानूनी तर्कों पर विचार किया जाएगा.
इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट के समक्ष यूक्रेन ने कहा था कि हम इस इमारत में हैं, जिसे शांति का महल कहा जाता है, जबकि हमारे देश पर हमले हो रहे हैं. रूसी बम और मिसाइलों से आक्रामण हो रहा है. लाखों लोग खतरे में हैं. ऐसे में रूस उसके देश में सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोके. वहीं, मॉस्को का कहना है कि यूक्रेन अपनी सैन्य कार्रवाई करने के साथ-साथ रूस पर दोष मढ़कर केस को गोल-गोल घुमाना चाहता है.
इससे पहले इस मामले में बीते साल मार्च में सुनवाई हुई थी, जब अदालत ने यूक्रेन के पक्ष में फैसला सुनाया था. साथ ही अदालत ने रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया था. हालंकि रूस ने कोर्ट के फैसले को गंभीरता से नहीं लिया और यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई जारी रही.
सोमवार को होने वाली सुनवाई में अदालत 32 अन्य राज्यों की दलीलें भी सुनेगी, जो यूक्रेन के इस तर्क का समर्थन करते हैं कि अदालत के पास मामले को आगे बढ़ाने का अधिकार क्षेत्र है. आईसीजे के फैसलों पर नजर रखने वाली जूलियट मैकइंटायर ने कहा कि अदालत के लिए यह काफी सकारात्मक लग रहा है कि उसका अधिकार क्षेत्र है.