महिला आरक्षण के लिए भारतीय जनता पार्टी के सदैव प्रतिबद्ध होने का दावा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी महिलाओं के मामले में कोई राजनीति नहीं करती. वित्त मंत्री सीतारमण ने ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023′ पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस विधेयक का मसौदा बहुत सोच-समझकर बनाया गया है. उन्होंने कहा कि पंचायतों में 33 प्रतिशत आरक्षण का जमीनी स्तर पर बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिला तथा कई राज्यों में यह बढ़कर पचास प्रतिशत हो गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि यह विधेयक काफी समय से प्रतीक्षित था. उन्होंने विधेयक को लाने में वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन में नौ वर्ष लग जाने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इसको लेकर आम सहमति बनाये जाने की जरूरत है.
सीतारमण ने राज्यसभा एवं राज्यों की विधान परिषद में महिलाओं के लिए आरक्षण की कई सदस्यों की मांग पर कहा कि परोक्ष मतदान में आरक्षण प्रावधान लागू करना व्यावहारिक रूप से काफी कठिन होता है. जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात ही महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हो पाएंगी. यह विधेयक कानून बनने के बाद पंद्रह वर्ष तक प्रभावी रहेगा. उन्होंने 1996 में पहली बार महिला आरक्षण के लिए लाये गये विधेयक सहित इस बारे में संसद में लाये गये विभिन्न विधेयकों का हवाला दिया
वित्त मंत्री ने कहा कि महिलाओं की पूजा करने की आवश्यकता नहीं है, बस उनके साथ बराबरी का व्यवहार कीजिए. उन्होंने सत्यकाम और जबाला की कहानी सुनाते हुए कहा कि भारत की सभ्यता में महिलाओं के साथ सम्मान का व्यवहार होता है. उन्होंने कहा कि व्यवस्था में ‘विकृतियां’ आती रहती हैं, जिनका सुधार किया जाता है.
सीतारमण ने कहा कि भाजपा निरंतर महिला आरक्षण की पक्षधर रही है और उन्होंने अपनी पार्टी में महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रति आभार जताया, जिसके कारण वह सरकार में इस ऊंचे पद पर पहुंच सकीं. उन्होंने कहा कि जैसे अनुच्छेद 370 को समाप्त करना भाजपा के संकल्प पत्र में हमेशा रहा, वैसे ही महिला आरक्षण भी इसमें हमेशा रहा. उन्होंने संप्रग सरकार के शासनकाल में एक घटना को याद करते हुए कहा कि राज्यसभा में जब महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पारित हो गया तो पार्टी नेता दिवंगत सुषमा स्वराज ने संसद भवन परिसर में माकपा नेता वृंदा करात से गले मिलकर अपनी खुशी जतायी थी और उम्मीद व्यक्त की थी कि यह लोकसभा में भी पारित हो जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 समाप्त करना महिलाओं के हित में है, क्योंकि वहां की कोई महिला यदि राज्य के बाहर विवाह कर ले तो उसे वहां संपत्ति के अधिकार से बेदखल कर दिया जाता था. भाजपा महिलाओं के मामले में कोई राजनीति नहीं करती क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक विश्वास का मामला है.मोदी सरकार ने भारतीय सशस्त्र सेना में महिलाओं को पुरुषों के बराबर ला दिया है. सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं के प्रवेश, महिलाओं को स्थायी कमीशन, थल सेना के लिए महिलाओं को हेलीकाप्टर उड़ाने की अनुमति, अग्निवीर में महिलाओं की भर्ती, मुद्रा योजना की मदद से महिलाओं को नौकरी प्रदाता बनाना जैसे कई कदम मोदी सरकार के शासनकाल में उठाये गये हैं.
सीतारमण ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन देने के लिए सभी दलों के नेताओं और सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि परिसीमन की अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया तथा संसद एवं राज्य की विधानसभाओं द्वारा इसके अनुमोदन के बिना यह प्रस्तावित कानून अमली जामा नहीं पहन पाएगा. उन्होंने आरएसएस में महिलाओं को स्थान नहीं मिलने के कम्युनिस्ट सदस्य विनोय विश्वम के प्रश्न के जवाब में पूछा कि माकपा के पोलित ब्यूरो में महिला नेता वृंदा करात को सदस्य बनने में इतना समय क्यों लग गया?
वित्त मंत्री ने कई सदस्यों द्वारा इस विधेयक में ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं होने पर उठाये गये प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि संविधान में केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण का प्रावधान है. इसलिए विधेयक में केवल इन्हीं के लिए आरक्षण का प्रावधान है.