राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने साफ कहा कि नई संसद के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मौजूद नहीं रहना संविधान के मुताबिक तय भूमिका के हिसाब से उचित था. जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी नेताओं नें राष्ट्रपति के इस मौके पर मौजूद नहीं रहने को लेकर सवाल उठाए थे. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक उपराष्ट्रपति धनखड़ ने साफ कहा कि इससे राष्ट्रपति के प्रति कोई अनादर नहीं दिखाया गया है. नई संसद के उद्घाटन पर राष्ट्रपति की गैर मौजूदगी को लेकर पिछले दिनों में कांग्रेस के सांसदों संसद में सवाल भी उठाया था. जबकि उपराष्ट्रपति ने साफ कहा कि संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति को इस मौके पर मौजूद नहीं होना चाहिए.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान राज्यसभा में कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल द्वारा की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि ‘कृपया संविधान के पहले संशोधन को याद करें. संविधान निर्माताओं ने यह प्रावधान किया था कि राष्ट्रपति सदन के हर सत्र को संबोधित करेंगे. राष्ट्रपति को संविधान के अनुसार कार्य करना होगा.’ जबकि बुधवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया था. वहीं वेणुगोपाल ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि ‘जब इस नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा था, तो हम सभी को उम्मीद थी कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति वहां होंगे. यह हमारा अपमान है कि हमारे अध्यक्ष वहां नहीं थे.’
इस पर धनखड़ ने वेणुगोपाल का भाषण रोकते हुए कहा कि ‘मैं स्पष्ट कर दूं कि उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को देश में सर्वोच्च सम्मान दिया गया है. कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं हुआ है.’ उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का पद उम्मीद के मुताबिक स्तर पर रखना होगा. और वह हुआ है.. आपको अपना होमवर्क करना चाहिए…संविधान पढ़ें, भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की गई है. मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि आपका अध्यक्ष किसी को भी अपनी शक्ति का हनन करने की अनुमति नहीं देगा. इस धारणा से बाहर निकलें.