केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में हिमाचल के 11 दवा उद्योगों में निर्मित 12 दवाएं व इंजेक्शन सबस्टैंडर्ड पाए गए हैं। जो दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर खरा नहीं उतरी हैं, उनमें हाई बीपी, एलर्जी, स्ट्रोक, एंटीबायोटिक व निमोनिया के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं व इंजेक्शन शामिल हैं। इसके अलावा कैल्शियम सप्लीमेंट व एंटीसेप्टिक मरहम भी जांच में फेल हो गए हैं। यह खुलासा सीडीएससीओ द्वारा जारी अगस्त माह के ड्रग अलर्ट में हुआ है। सबस्टैंडर्ड पाई गई दवाओं का निर्माण ऊना, मैहतपुर, कालाअंब, पावंटा साहिब, नालागढ़, बद्दी, बरोटीवाला स्थित दवा उद्योगों में हुआ है। इसके अतिरिक्त गुजरात, दिल्ली, तेलंगाना, उत्तराखंड, बेंगलुरु, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, हरियाणा, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र स्थित दवा उद्योगों में निर्मित 36 तरह दवाएं व इंजेक्शन भी सबस्टैंडर्ड निकले हैं। फिलवक्त राज्य दवा नियंत्रक ने हरकत में आते हुए ड्रग अलर्ट में शामिल तमाम उद्योगों को नोटिस जारी कर संबंधित दवा का पूरा बैच बाजार से तत्काल वापस मंगवाने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
इसके अलावा संबंधित क्षेत्र के सहायक दवा नियंत्रकों को दवा उद्योगों का निरीक्षण कर विस्तृत जांच के निर्देश दे दिए हैं। काबिलेजिक्र है कि प्रदेश में दवाओं के लगातार दवाओं के सैंपल फेल होने का क्रम जारी है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अगस्त माह में देश के अलग अलग राज्यों से 1166 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 48 दवाएं सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं, जबकि 1118 दवाएं गुणवता के पैमाने पर खरी उतरी हैं। इन दवाओं के सैंपल हिमाचल के राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण, सीडीएससीओ बैंगलुरु, कोलकाता, चैन्नई, मुंबई, गाजियाबाद, अहमदाबाद, हैदराबाद व ड्रग डिपार्टमेंट ने जांच के लिए जुटाए थे, जिनकी जांच सीडीएल लैब में हुई और जाचं रिपोर्ट गुरुवार को सार्वजनिक की गई। वहीं राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि दवा निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।।