हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में फौरी राहत के नाम पर कुकलाह गांव के प्रभावितों ने उनके साथ भद्दा मजाक करने के आरोप लगाए हैं. सराज विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कुकलाह गांव के प्रभावितों का आरोप है कि जिन लोगों के पास शरीर पर पहने कपड़ों के सिवाय और कुछ नहीं बचा उन्हें प्रशासन ने फौरी राहत के तौर पर मात्र पांच हजार की राशि थमाई है.
सुख की सरकार ने ऐसे प्रभावितों के लिए एक-एक लाख के मुआवजे का ऐलान कर रखा है लेकिन उस एक लाख के लिए प्रभावितों से इतनी ज्यादा फार्मेलिटी पूरी करने को कहा जा रहा है कि पांच हजार रुपये भी उसी पर खर्च हो चुके हैं.
कुकलाह गांव के प्रभावित धर्म चंद और भागीरथ ने बताया कि आपदा के एक सप्ताह बाद जब मीडिया में खबर लगी, तब जाकर इन्हें पांच हजार की राशि मिली थी और अब एक महीना बीत जाने के बाद भी सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिल पाई है. इनसे ऐसे-ऐसे कागजात मांगे जा रहे हैं जोकि घर के साथ ही दब गए हैं. अब उन्हें कहां से लेकर आएं. इन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा अदा किया जाए.
बीते दिनों आई आपदा में कुकलाह गांव में 12 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए थे. सैंकड़ों लोग घर से बेघर हो गए हैं और इनके पास अब रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचा है. प्रभावित गीता देवी और फते राम ने बताया कि उन्हें प्रशासन की तरफ से जो तिरपाल दिए गए हैं उनके तंबू बनाकर वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं. स्थानीय लोग कुछ मदद कर रहे हैं और कुछ अस्थायी ठीकाने भी बनाए हैं, लेकिन सरकार जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध करवाकर घर बनाकर दे.
स्थानीय वार्ड सदस्य पदमा देवी ने बताया कि प्रभावितों को मात्र 5-5 हजार की फौरी राहत दी गई है, जोकि किसी भी लिहाज से उचित नहीं है. प्रभावितों के पास कुछ भी शेष नहीं बचा है. सरकार व प्रशासन से अनुरोध है कि प्रभावितों को ज्यादा से ज्यादा मदद दी जाए और जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की जाए.
जब इस बारे में एसडीएम बालीचौकी मोहन शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रभावितों की यथासंभव मदद की जा रही है. फौरी राहत की राशि पूरे मुआवजे से काटी जाती है. यदि फौरी राहत कम मिली है तो बाद में मिलने वाले मुआवजे में यह एडजेस्ट होती है. नियमों के तहत सारी औपचारिकताएं पूरी करके जल्द ही सारा मुआवजा दे दिया जाएगा. प्रभावितों की हर समस्या के समाधान के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है.