अंबरीश पाठक | तेलंगाना
औरों की तो छोड़िए उसे खुद ही विश्वास नहीं हो रहा था। आईटी की बेस्ट कंपनियों में से एक इंफोसिस का अपॉइंटमेंट लेटर रूपा के हाथ में था। बिन मां की बेटी रूपा के लिए ये सपने जैसा था। तेलंगाना के वारंगल जिले के एक छोटे से गांव की यह बेटी आज अपने गांव की कितनी ही लड़कियों की आईडियल है। पास के ही इलैंदा गांव की वूल्लमा भी इंजीनियरिंग करने के बाद एक बढियां जॉब कर रही है। तेलंगाना के वारंगल व मेहबूबनगर जिले के गांवो मे जहां बेटी को पढाना तक जरूरी नही समझा जाता था, उनकी आंखो ने जो सपने देखे तक नहीं थे, वो भी पूरे किए वंदेमातरम फाउंडेशन ने। वे पढी भी, बढी भी, उनके सपनो को पंख दिए संघ के स्वयंसेवक के.रविंद्र राव व उनके सहयोगियों ने। फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं के लिए सबसे अधिक मुश्किल था पालकों को लड़कियों को गांव से बाहर पढने भेजने के लिए मनाना । फाउंडेशन से बरसों से जुड़े माघव रेड्डी बताते हैं, शुरूआती दौर में माता-पिता बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए गॉव से बाहर भेजने के लिए कतई तैयार न थे। पर किसी तरह वे कुछ लोगों को मनाने मे सफल हुए फिर तो एक परिपाटी सी चल पड़ी।
कभी शिक्षा के लिहाज़ से बेहद पिछड़े इस इलाके में वंदेमातरम् फाउंडेशन के प्रयासों से आज 398 युवा इंजीनियरिंग कर चुके हैं। जहॉ कभी महज़ 12 प्रतिशत लड़कियॉ ही महाविद्यालयों तक पहुंच पाती थी, आज यह ऑकड़ा काफी बढ़ गया है। अभी तक कुल 1600 लड़कियॉ फाउंडेशन के माध्यम से ग्रेजुएशन कर चुकी हैं।
संस्था के सचिव भास्कर रेड्डी के मुताबिक स्वंयसेवक ग्रामीण, इलाकों में जा कर लड़कियों के माता-पिता को संकल्प दिलाते हैं कि शिक्षा पूर्ण होने तक वह बेटी की शादी न करेंगे। इसके पश्चात फाउंडेशन द्वारा इन लड़कियों की महाविद्यालय की फीस से लेकर उनके आने-जाने में होने वाले व्यय तक की व्यवस्था की जाती है। प्रत्येक तिमाही एक विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्राओं को कॅरियर ऑपशन्स के बारे में सटीक व लेटस्ट जानकारी दी जाती है।
गांवों के छात्र भी शहरी बालकों का मुकाबल कर सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए फाउंडेशन द्वारा वर्ष में एक बार हाईस्कूल के छा़त्रों के लिए 45 दिवसीय शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रातः 4:30 बजे से आरंभ होने वाले इस शिविर में विभिन्न विषयों के एक्सपर्ट विद्यार्थी को परीक्षा की तैयारी कराते हैं।
कन्या शिक्षा के क्षेत्र में वंदेमातरम् फाउंडेशन की यह पहल समूचे तेलंगाना में तेजी से एक आंदोलन का रूप ले रही है। संस्था के माध्यम से शिक्षित लड़कियां अपने-अपने गांवों में संचालित शारदा संस्कार केन्द्रों के माध्यम से अन्यों को भी कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, महिला स्वास्थ्य एवंम शिक्षा जैसे विषयों पर जागरूक बना रही है।