विजयलक्ष्मी सिंह | अहमदाबाद | गुजरात
जिसके घर का बजट हमेशा पैसे की कमी से गड़बड़ाता रहा, वही दीपिका अब ऑडिटर के रूप में सरकारी बजट की निगरानी करेगी। हालांकि सफलता की यह इबारत लिखना दीपिका के लिए आसान नहीं रहा। मजदूरी करते-करते पिता को बीमारी ने आ घेरा व माँ कभी घर से बाहर निकल नहीं पाई। घर के छोटे से कमरे में दूसरों को टयूशन पढाते हुए, खुद अपनी पढ़ाई जारी रखना खासा मुश्किल था। पर दीपिका के सपने बहुत बड़े थे, इसलिए उसने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की व इसके लिए उसे मदद मिली उस लाइब्रेरी से जो खास तौर से उस ही के जैसी बच्चियों के लिए नरोड़ा, (गुजरात) द्वारा 17 सालों से चलायी जा रही थी।
1993 में डाक्टर हेडगेवार जन्मशताब्दी सेवा समिति के तत्वाधान में किरण बाघेला, मधुबेन प्रजापति व हेतल बेन ने कुछ स्वयंसेवकों के सहयोग से स्टिचिंग क्लासेस से इस स्वाबलंबन केंद्र की शुरुआत की थी। गत 25 वर्षों से चल रहे इस केंद्र से सैंकडों बेटियों-बहनों ने सिलाई कढाई, बैग मेकिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद खुद की मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां आरम्भ की हैं। पिछले 6 सालों से यहाँ माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस व टेली जैसे रोज़गार परक कंप्यूटर कोर्स भी सिखाये जा रहे हैं। अभी तक यहाँ से निकली सैकड़ों लड़कियां कंपनियों में नौकरी कर रही हैं। अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके सौजपुरबौघा नरोड़ा स्थित इस महिला स्वाबलंबन केंद्र ने झुग्गियों व सेवाबस्तियों की महिलाओं को इकोनॉमिकली-इंडिपेंडेंट बनाने के लिए कमाल का काम किया है।
गुजरात में हीरा-साज मजदूरों की स्थिति बड़ी विकट है। छोटे-छोटे दड़बानुमा मकानों में दैनंदिन जरूरतों के लिए संघर्ष के चक्कर मे इन परिवारों में लड़कियों की पढाई या तो छूट जाती है या छुड़ा दी जाती है। कमोबेश यही स्थिति ठेला लगाने वालों भवन निर्माण कर रहे मजदूरों के परिवारों के साथ होती है। ऐसे ही परिवारों की महिलाओं व किशोरियों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने के लिए इस काम की शुरुआत हुई| केंद्र पर कम्यूटर क्लासेस ले रही श्रीमती कृति जैन की मानें तो यहाँ आने वाली महिलाओं के व्यक्तित्व के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। वाद-विवाद गीत, रंगोली, मेहंदी जैसी प्रतियोगिताओं का क्रम यहां लगातार चलता रहता है। अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट आकर इन्हें जीवन के हर पहलु से अवगत कराते हैं । मकरसंक्राति, रक्षाबंधन व समरसता दिवस जैसे अवसरों पर आयोजित कार्यक्रमों के द्वारा इन महिलाओं में देश व समाज के प्रति भाव जागृत किया जाता है। शुरू से यहाँ से जुड़ी रही किरण जी बताती है कि महिलाओं के स्वास्थ्य का भी यहां पूरा ध्यान रखा जाता है। यहाँ टीबी व ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों के लिए फ्री मेडिकल कैंप लगाए जाते हैं।
साथ ही कम आय में किन चीजों को खाकर स्वस्थ रहा जा सकता है इस बारे में शहर के जाने-माने न्यूट्रीशियन्स यहाँ आकर जानकारी देते हैं। समिति द्वारा मेडिकल इक्विपमेंट जैसे वाटर बेड, व्हीलचेयर, ऑक्सीजन सिलेंडर इत्यादि रिफंडेबल डिपॉजिट पर फ्री ऑफ कॉस्ट आवश्यकतानुसार महिलाओं को उपलब्ध कराए जाते हैं।
आज यह केंद्र महिलाओं का- महिलाओं के लिए- महिलाओं द्वारा- के मॉडल पर खड़ा हो चुका है। इसका सारा मैनेजमेंट अब स्वयंसेवक परिवारों की महिलाएं करती हैं। सुनीति बेन पटेल की अध्यक्षता में 12 महिलाओं की कमेटी इसका कामकाज बड़े ही कुशल ढंग से देख रही है। इसके अर्थतंत्र की चिंता समिति के ट्रस्टी करते है। महज एक कमरे से शुरू हुआ यह स्वावलंबन केंद्र आज तिमंजिला भवन में तब्दील हो चुका है। सुनीति जी सेवा इंटरनेशनल व सेवा भारती का आभार व्यक्त करना नहीं भूलती जिनके आर्थिक सहयोग से आज केंद्र के पास अपना निजी भवन है। अब बात करते हैं दीपिका की जो अब यहाँ अपने ही जैसी बच्चियों को पढाने आती है ताकि वे भी जीवन में आगे बढ सकें।
संपर्क -सुनीति पटेल
संपर्क नंबर – 9408840167