विजयलक्ष्मी सिंह | शिवे | महाराष्ट्र
बबन दगडू पर तो आज मानो मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा था। इस गरीब कुम्हार के लिए जब मिट्टी के बर्तन बनाकर शहर में गुजारा करना मुश्किल हो गया था, तब वह अपने गांव लौट कर अपने छोटे से खेत में जुट गया। किंतु हाय री किस्मत! 5 माह की मेहनत के बाद जो 40 क्विंटल फसल उपजी उसमें भी आग लग गई। तभी उसकी मदद को आगे आए गांव के वीर सावरकर मंडल के युवा। इन स्वयंसेवकों ने असहाय बबन दगडू को गांव से ही एकत्र कर 25 क्विंटल अनाज एवं 20,000 रुपये की नगद राशि उपलब्ध कराई। पुणे के खेड़ तहसील के छोटे से गांव शिवे में संघ के स्वयंसेवकों का यह मंडल हर मुसीबत में गरीब किसानों के साथ सहारा बनकर खड़ा होता है।
शंकर तुलसीराम सातपुते आज भी वह दिन नहीं भूले जब घर जल जाने के बाद इन युवाओं ने 1,75,000 रुपये इकट्ठा कर उन्हें अपना घर बना कर दिया था। यह तो सिर्फ बानगी है, गांव में चल रहा रामचंद्र गडदे स्मृति पुस्तकालय हो या फिर इसी भवन में चल रही कंप्यूटर की नि:शुल्क कक्षाएं। ग्राम विकास समिति व सावरकर मंडल के माध्यम से गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सभी क्षेत्रों में गांव के विकास को सही दिशा देने का कार्य हो रहा है।
‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के राष्ट्र जागरण अभियान के अन्तर्गत सन 2000 में पहली बार संघ के स्वयंसेवक शिवे गांव पहुंचे। वर्तमान प्रांत सह ग्राम विकास प्रमुख श्री रमेश जी कोबल व उनके सहयोगियों के प्रयास से यहां साप्ताहिक शाखा आरंभ हुई। सावरकर मंडल के संस्थापक श्री रोहिदास गडदे बताते हैं कि शाखा से निकले स्वयंसेवको के प्रयास से गांव में परिवर्तन की बयार बह निकली। 18 वर्ष से चल रही पांच दिवसीय व्याख्यानमाला ने गांव के लोगों मे राष्ट्रभाव जागृत किया। इस गांव के गरीब परिवार की कन्याओं की शादी मंडल के माध्यम से हर साल होने वाले सामूहिक विवाह में बगैर एक पैसा खर्च किये होती है। अब तक इस कार्यक्रम के जरिये 400 से अधिक गरीब परिवार की बेटियों की शादी संभव हो पायी है।
शिवे में अब लोगों को छोटी-मोटी जरूरतों के लिए सूदखोरों के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता। रमेश कोबल जी के अनुसार इस गांव में पुरुषों व महिलाओं के अलग- अलग स्वयं सहायता समूह चल रहे हैं। जरुरत के समय 1% ब्याज पर समूह से ही राशि मिल जाती है। गांव के बच्चे शहर जैसी पढ़ाई कर सकें इसके लिए श्री रामगिर बाबा शिक्षण संस्था द्वारा यहां ज्ञानदीप विद्यालय चलाया जा रहा है, यह विद्यालय सुचारु रूप से चल सके इसमें वीर सावरकर मण्डल मुख्य भूमिका निभाता है। यहां के बच्चे सरकारी नौकरी हासिल कर सकें इसके लिए रामचंद्र गडदे स्मृति वाचनालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए परामर्श कक्षाएं चलाई जाती हैं। इसी भवन में चल रहे कंप्यूटर केंद्र की विशेषता यह है कि- गांव के सरकारी विद्यालय के विद्यार्थी भी यहां कंप्यूटर सीखने आते हैं। वाचनालय में उपलब्ध 15,000 से अधिक पुस्तकें शिक्षा का वह भंडार हैं जो कभी खाली नहीं होगा।
संपर्क – रोहिदास गडदे
+91 98506 67265