राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. प्रगति मैदान के भारतीय मंडपम में इस बैठक का आयोजन किया गया है.
इस सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी विश्व नेताओं का स्वागत किया और सभी का संबोधन किया. उन्होंने इस दौरान कई बड़ी बातों का ऐलान किया है. अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने सभी नेताओं का स्वागत किया. पीएम मोदी ने अपने ओपनिंग स्टेटमेंट में G20 में भारत के विजन को सबके सामने रखा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदलने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब दुनिया को एक साथ मिलकर चलने का समय आ गया है.
G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अफ्रीकी यूनियन की सदस्यता का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सदस्यता पर सभी लोगों ने अपनी सहमति जताई है. गौरतलब है कि अफ्रीकी यूनियन में कुल 55 देश शामिल हैं.
दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद जी20, यूरोपियन संघ के बाद देशों का दूसरा सबसे बड़ा समूह बन गया है. उम्मीद है कि अफ्रीकी यूनियन के शामिल होने के बाद जी20 अब जी21 बन सकता है. इसके बाद कोमोरोस संघ के अध्यक्ष और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष, अजाली असौमानी ने संघ के रूप में अपनी सीट ली और जी20 के स्थायी सदस्य बन गए.
पीएम मोदी ने बताया, “‘सबका साथ’ की भावना के साथ ही भारत ने प्रस्ताव दिया था कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता दी जाए. मेरा मानना है कि इस प्रस्ताव पर हम सभी सहमत हैं. आप सभी की सहमति से, मैं अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अपना स्थान ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं.”
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल हो, उत्तर और दक्षिण का विभाजन हो, पूर्व और पश्चिम की दूरी हो, खाद्य पदार्थ, ईंधन और उर्वरक का मैनेजमेंट हो, आतंकवाद और साइबर सिक्योरिटी हो, स्वास्थ्य, ऊर्जा एवं जल सुरक्षा हो, वर्तमान के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें इन चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढ़ना ही होगा.”
पीएम मोदी ने कहा, “इस समय में, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का मंत्र हमारे लिए मार्गथप्रदर्शक हो सकता है. आज, G20 के अध्यक्ष के रूप में, भारत पूरी दुनिया से वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास में बदलने का आह्वान करता है। यह हम सभी के लिए एक साथ आगे बढ़ने का समय है.”
उन्होंने कहा, “कोविड महामारी के बाद, दुनिया को विश्वास की कमी की एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा और युद्धों ने इसे और गहरा कर दिया है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि अगर हम कोविड जैसी महामारी को हरा सकते हैं, तो हम इस विश्वास की कमी पर भी जीत हासिल कर सकते हैं.”