प्रदेश सरकार अगर साक्षरता अभियान में जरा भी गंभीरता दिखाती है, तो हिमाचल प्रदेश बहुत जल्द सौ प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल कर सकता है. प्रदेश में इस समय करीब आठ लाख निरक्षर हैं, जिन्हें विशेष अभियान चलाकर बुनियादी साक्षरता कौशल देकर पूर्ण साक्षर किया जा सकता है. राज्य संसाधन केंद्र, शिमला के निदेशक डा. ओम प्रकाश भूरेटा ने शुक्रवार को 57वें अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर जारी बयान में व्यक्त किया.
डा. भूरेटा ने कहा कि इसके लिए सरकार को सघन और योजनाबद्ध अभियान चलाना होगा. दूसरी ओर राज्य संसाधन केंद्र के अध्यक्ष डा. कुलदीप सिंह तंवर ने बताया कि 90 के दशक में साक्षरता अभियान के कारण एक ऐसा माहौल तैयार हुआ था, जिससे न केवल निरक्षरों को साक्षर बनाया गया, बल्कि स्कूलों में भी बच्चों का दाखिला बढ़ा था. उन्होंने कहा कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम है ‘बदलती हुई दुनिया के लिए साक्षरता को बढ़ावा देना और टिकाऊ एवं शांतिपूर्ण समाज की नींव का निर्माण करना.’
उन्होंने कहा कि बदलती दुनिया के साथ सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के साथ-साथ डिजिटल डिवाइड बढ़ रहा है. एक तरफ जहां घर, दफ्तर, व्यापार सहित सभी प्रकार की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से मिल रही है. वहीं देश का एक बड़ा हिस्सा इन सब से वंचित है. कोविड-19 के बाद से घर से काम करने का एक नया चलन शुरू हुआ है. हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य सचिव जीयानंद शर्मा ने कहा कि साक्षरता दिवस न केवल प्रौढ़ों को साक्षर करने का अभियान था, बल्कि निरंतर शिक्षा और कौशल के घटक भी इसमें शामिल थे. लोगों को संगठित करना और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करवाना भी साक्षरता की परिभाषा के दायरे में आते थे.