हिमाचल प्रदेश में स्थापित हो चुके उद्योगों को सबसिडी के रूप में मिलने वाले लंबित लगभग 500 करोड़ रुपए अब जारी हो जाएंगे. भारत सरकार ने हिमाचल और उत्तराखंड के लिए 1164 करोड़ की पेंडिंग सबसिडी क्लियर कर दी है. राज्य सरकार के पास यहां पैसा आते ही यह 31 मार्च, 2022 तक स्थापित हो चुके या इस स्कीम के तहत क्लियर हो चुके उद्योगों को जारी हो जाएगा. उद्योग मंत्री हर्षवद्र्र्धन चौहान ने बताया कि पूर्व अधिसूचित औद्योगिक विकास योजना (आईडीएस) के अनुसार पहले 131 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय अनुमोदित किया गया था, जो लंबित देनदारियों को चुकाने के लिए अपर्याप्त था. दरअसल भारत सरकार ने इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट स्कीम 2017 शुरू की थी और इसमें हिमाचल में औद्योगीकरण के लिए प्लांट और मशीनरी पर 30 फ़ीसदी तक कैपिटल सब्सिडी का प्रावधान था.
लेकिन भारत सरकार ने 31 मार्च 2022 से पहले क्लियर हो चुके कई प्रस्तावों को भी अभी पैसा जारी नहीं किया था. उसके बाद यह स्कीम बंद कर दी गई थी। हिमाचल सरकार से कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री को गए प्रस्ताव में कल 535 करोड़ की सबसिडी फांसी हुई थी. इनमें स्टेट लेवल कमेटी से क्लियर हुए 219 उद्योगों के 268 करोड़, भारत सरकार से क्लियर हुए 48 मामलों के 67 करोड़ और भारत सरकार में डिसबर्समेंट के लिए लंबित 171 मामलों के 200 करोड़ शामिल हैं. 31 मार्च, 2022 के बाद राज्य के उद्योग विभाग में भी इस स्कीम के तहत कैसे क्लियर करना बंद कर दिए थे, लेकिन राज्य को केंद्र से पिछला पैसा नहीं मिला था. इसके बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 19 अगस्त, 2023 को केंद्रीय कॉमर्स मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह को पत्र लिखकर हिमाचल में आई प्राकृतिक आपदा को देखते हुए 200 करोड़ सबसिडी जारी करने का आग्रह किया था. अब भारत सरकार ने दोनों राज्यों के लिए 1164 करोड़ रिलीज करने का निर्णय लिया है.
उद्योग मंत्री हर्षवद्र्धन सिंह चौहान ने कहा कि संशोधित आईडीएस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में विनिर्माण कार्यों, जैव-प्रौद्योगिकी और जल विद्युत उत्पादन (10 मेगावॉट क्षमता) की इकाइयों को लाभ होगा. उद्योग मंत्री ने कहा कि अब प्रदेश में कहीं भी निर्माण और सेवा क्षेत्र में पर्याप्त विस्तार करने वाली सभी पात्र नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को 5.00 करोड़ रुपए की ऊपरी सीमा के साथ संयंत्र और मशीनरी में निवेश के लिए क्रेडिट तक पहुंच के दृष्टिगत 30 प्रतिशत केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा.