एक वक्त था, जब इंसान जंगलों में रहा करता था. वो खुद को खतरनाक जीवों से बचाना और उनके साथ रहना भी जानता था. हालांकि बाद में बस्तियां बसीं और इंसानों और जानवरों के बीच की ये खास बॉन्डिंग खत्म हो गई. इंसानों ने कई जानवरों को पालतू बना लिया और जो जंगली रह गए, उनसे दूरी बनाकर रखने लगा. आपने कभी सोचा है कि आज के युग में भी क्या इंसान और जानवर साथ रह सकते हैं?
जब इंसान के हाथ में हथियार होते हैं, तो वो जानवरों का शिकार करता है और जब जानवर खूंखार होता है, तो वो इंसानों पर भी भारी पड़ जाता है. हालांकि अपने ही देश में एक जगह ऐसी भी है, जहां इंसानों और खतरनाक शिकारी माने जाने वाले तेंदुओं के बीच ऐसा सामंजस्य बना हुआ है कि ये साथ-साथ रहते हैं. एक-दो नहीं बल्कि करीब 10 गांवों में सैकड़ों तेंदुओं ने इंसानों के साथ अपना घर बना रखा है.
वेबसाइट ऑडिटी सेंट्रल के मुताबिक पिछले 100 साल से तेंदुए और इंसान एक साथ रह रहे हैं. इसके बीच प्यार और सामंजस्य ऐसा बन चुका है कि तेंदुए इंसान या उनके बच्चों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. लोगों को भी तेंदुओं के साथ रहने की ऐसी आदत पड़ चुकी है कि उन्हें सामने देखकर भी कोई बच्चा भी उनसे नहीं डरता. बताया जाता है कि एक बार एक तेंदुआ बच्चे को मुंह में दबाकर ले गया था लेकिन फिर जंगल में जाने से पहले ही उसे छोड़ गया. अब कस्बे के से दसों गांवों में इस तरह तेंदुए घूमते हैं कि लोग उन्हें अपनी ही तरह समझने लगे हैं.
इस कस्बे में रबारी जनजाति के लोग रहते हैं. बताया जाता है कि ये जनजाति चरवाहों की है और ये लोग हज़ारों साल पहले अफगानिस्तान के रास्ते इरान से होकर राजस्थान आ गए थे. भगवान की शिव की उपासना करने वाले ये लोग मानते हैं कि तेंदुए भगवान की ओर से भेजे गए उनके रक्षक है. वे कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते और लोग भी उन्हें प्यार करते हैं. दिलचस्प ये भी है कि अगर वे उनके मवेशियों को भी खा लें, तो उन्हें वे बलि समझकर माफ कर देते हैं.