इस्माइलगंज द्वितीय वार्ड में जिस सड़क को बनाने का टेंडर मंगलवार को निकला, वह करीब 10 दिन पहले से ही बन रही है. यानी टेंडर होने से पहले ही गुपचुप ठेकेदार को काम दे दिया गया. सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए टेंडर जारी किया गया है. इससे यह भी साफ है कि नगर निगम में टेंडर पूलिंग का खेल चल रहा है.
निगम ने मंगलवार को जोन-7 में होने वाले 10 कार्यों के टेंडर निकाले. ये सभी टेंडर मैनुअल डाले जाएंगे. इसमें गहमरकुंज कॉलोनी में मकान नंबर सी- 99 से सी-21 तक सड़क सुधार कार्य और नाली ढकने के काम काम का भी टेंडर है. इस काम पर 7,73,614 रुपये खर्च होंगे. इसके लिए दो सितंबर से नौ सितंबर तक टेंडर डाले जाएंगे, लेकिन इसका काम 10 दिन से चल रहा है. इसी तरह गहमरकुंज में ही मकान नंबर सी-39 के पास से शक्तिधाम मंदिर होते हुए गहमरकुंज गेट तक इंटरलॉकिंग, नाली ढकने और सड़क सुधार के काम कराने के लिए भी टेंडर निकाला गया है. इन कामों पर 8,25,674 रुपये खर्च किए जाएंगे. हालांकि ये काम अभी शुरू नहीं हुए हैं.
नगर निगम सदन में पास हुए प्रस्ताव के तहत वार्ड विकास निधि से होने वाले 10 लाख रुपये से कम के कामों में ई-टेंडर लागू नहीं होता. जानकारों का कहना है कि इसी वजह से गहमरकुंज कॉलोनी के 15 लाख रुपये से ज्यादा के कामों को दो दुकड़ों में कर दिया गया, ताकि इनको ई-टेंडर से बाहर रखा जा सके. पर, टेंडर जारी होने से पहले ही काम शुरू हो जाना सवाल खड़े करता है. सूत्रों का कहना है कि कोई दूसरा टेंडर न डाल सके, इसलिए काम शुरू करवा दिया गया. मैनुअल टेंडर में उसी ठेकेदार को काम मिलता है, जिसको काम देने वाले पसंद करते हैं.
टेंडर से ही पहले सड़क बनाए जाने का मामला सामने आने के बाद नगर निगम प्रशासन बचाव की मुद्रा में आ गया है. नगर निगम के मुख्य अभियंता का कहना है कि अभी सिर्फ गड्ढे भरे जा रहे हैं, जबकि मौके पर सड़क बनाने के लिए गिट्टी डालकर उस पर डस्ट भी ठेेकेदार ने डलवा दी है. अब सिर्फ तारकोल मिक्स गिट्टी डालने का ही काम बचा है. लोगों को असुविधा न हो, इसके लिए नगर निगम अपने संसाधन से गड्ढे को पटवा रहा है. टेंडर फाइनल होने के बाद जिस ठेकेदार को काम मिलेगा, उससे कराया जाएगा. बिना टेंडर काम कराए जाने की बात नहीं है.
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