आपने अक्सर लोगों के साथ पशुओं को गाना सुनते या सुनाए जाते जरूर देखा होगा. पर क्या फसलों को भी गाना सुनते कभी देखा और सुना है. बिहार के लखीसराय में किसान फसलों को गाना सुनते हैं. यहां के युवा किसान सत्यनारायण मंडल खेती-बाड़ी करने के साथ-साथ अपने बचे हुए समय में लाउडस्पीकर के माध्यम से भजन सुनते हैं. साथ ही, अपनी फसल को भी भजन सुनाते हैं. उनका ऐसा करना आस-पास के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
सत्यनारायण मंडल का मानना है कि इंसानों के साथ-साथ फसल भी भजन सुनने से मंत्रमुग्ध होते हैं. भजन सुनने के बाद आस-पास की नकारात्मक शक्ति सकारात्मक में बदल जाती है. उनका मानना है कि संगीत सुनने से फसलों की बंपर पैदावार होती है. वो अपने बारे में बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही भगवान की भक्ति जैसे रामायण की चौपाई मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजर बिहारी, सुनहू भरत भाबि प्रबल जो कहु बुझत माही इत्यादि सुनने का बहुत शौक है. उनके लाउडस्पीकर से अक्सर इसी तरह के भजन की भक्तिमय आवाज़ सुनाई देती है.
सत्यनारायण का कहना है कि उनके अकेलापन का सबसे अच्छा साथी लाउडस्पीकर है. इसके माध्यम से वो भक्तिमय संगीत सुनते हैं. वो पिछले 25 वर्षों से ऐसा लगातार सुनते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनका एक बेटा है जिसने उनके लिए लाउडस्पीकर का व्यवस्था किया. साथ ही, उनका पूरा ख्याल रखता है. वहीं, आस-पास के किसान भी उनके भजन से काफी खुश रहते हैं.
किसान लालू यादव का कहना है कि वो भी सत्यनारायण मंडल के लाउडस्पीकर में रोज भजन सुनते हैं. इस तरह के प्रयास से उनका उत्साह भी दोगुना हो जाता है. आस-पास के 15 से 20 किसानों को यहां का भजन काफी प्रेरणा देता है.