उपमंडल बड़सर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद एक पूरा गांव भूस्खलन की वजह से खतरे की जद में आ गया है। घरों में दरारें व खिसकती जमीन लोगों के दिलों की धडक़न बढ़ाती जा रही है। आलम यह है कि लोग पड़ोसियों के घरों में रातें काट रहे है। दिन तो किसी तरह कामकाज में निकल जाता है, लेकिन रात टेंशन में ही गुजर रही है। पता नहीं कब क्या हो जाएगा बस यही डर लोगों का अंदर ही अंदर खाए जा रहा है। चिंता होना लाजमी भी है क्योंकि जिन्होंने अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई से मकान तैयार किए हैं वे इन्हें आंखों के सामने गिरता नहीं देख पा रहे। लोगों का कहना है कि जमीन लगातार खिसकती व धंसती जा रही है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
लोग प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें रिहाइश के लिए कोई सुरक्षित जगह आबंटित की जाए. मामला उपमंडल बड़सर की पिछड़ी पंचायत जनेहण के समताना खुर्द गांव का है. यहां के 10 से 15 परिवारों की भूस्खलन के कारण नींद हराम हो चुकी है. ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया गु्रप द्वारा मौके का मुआयना करने व स्थानीय लोगों से बात करने पर पाया गया कि ढलान पर बसे इस इलाके की जमीन पर बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं. घरों के आसपास लगाए गए डंगे, पेड़ व खेत भी खिसक कर कई फुट नीचे जा चुके हैं.
आंखों के सामने अपने खेत खलिहान मकान बर्बाद होता देख पीडि़त लोगों की आंखों में बेबसी साफ नजर आ रही है. पीडि़तों में कुशल कुमार, अमरो देवी, भागी राम, भगवान दास, देवराज, रोशन, अश्वनी, राकेश, अमरनाथ, केहरो देवी व सिमरो देवी का कहना है कि खतरे को देखते हुए अपने मकानों में रहने से डर लग रहा है. इस आपदा में कुशल कुमार का घर रहने योग्य नहीं बचा है. प्रशासन द्वारा दिए गए तिरपाल से उन्होंने बारिश से बचने का आसरा लिया हुआ है.
जमीन में दरारें लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. बता दें कि यह इलाका शुक्र खड्ड के किनारे स्थित है तथा इस खड्ड में इस समय छह क्रशर संचालित हैं, जबकि दो और खुलने की कतार में हैं. इसके साथ ही लगती ग्राम पंचायत धंगोटा के बतलाहू गांव के लोग भी लगातार बैठती जमीन से परेशान हैं. खड्ड के दूसरे छोर पर स्थित बल्ला गांव की बेशकीमती जमीन भी खड्ड की भेंट चढ़ती जा रही है तथा रास्ते भी बह चुके हैं.
बरसात के मौसम में भी प्रतिबंध के बावजूद खनन बेखौफ जारी है, जिस पर स्थानीय लोग कई बार आपत्ति जता चुके हैं. लोगों का आरोप है कि कार्रवाई के नाम पर केवल आम गरीब लोगों के चालान किए जाते हैं, जबकि क्रशर संचालकों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगाया जाता. लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कुल्लू, मनाली व शिमला की तरह इस क्षेत्र में भी भारी आपदा देखने को मिल सकती है.
विकास खंड कार्यालय बिझड़ी द्वारा पंचायतों से किए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 15 करोड़ से ज्यादा के नुकसान का आंकलन किया जा चुका है, जबकि अभी कुछ आंकड़े आने बाकी हैं.
जनेहन ग्राम पंचायत प्रधान उद्धम सिंह का कहना है कि लगभग 15 परिवारों के घरों को भूस्खलन के कारण खतरा पैदा हो गया है तथा कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है. हमारी मांग है कि प्रशासन मौके का मुआयना करे तथा पीडि़तों के रहने के लिए कोई सुरक्षित जगह आबंटित की जाए.
एसडीएम बड़सर रोहित शर्मा का कहना है कि प्रशासन की टीम द्वारा मौके का मुआयना करने पर पाया गया की समताना खुर्द गांव के कुछ मकान व जमीन भूस्खलन की चपेट में आई है. दो परिवारों को फौरी राहत के तौर पर 5000 रुपए प्रत्येक दिए है. रिपोर्ट बनाकर शिमला भेजी जा रही है, ताकि इनके पुनर्निवास की व्यवस्था की जा सके.