जिस इंसान के शरीर में मल्टिपल फ्रैक्चर, कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड और सहारा केवल व्हीलचेयर का हो, क्या ऐसा शख्स वर्कआउट, स्विमिंग या मरीज का ऑपरेशन कर सकता है? ये सुनकर आपका जवाब होगा… नहीं, लेकिन भरतपुर के 58 साल के डॉ. जगवीर सिंह के लिए ये सब असंभव नहीं है. व्हीलचेयर पर होने और कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड होने के बाद भी वे 100 से ज्यादा ऑपरेशन कर चुके हैं. डॉ. जगवीर भरतपुर के एमजे हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं.
एक साइक्लिंग टूर्नामेंट के दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया। कई ऑपरेशन और रिहैब के बाद भी वे सही नहीं हुए. आखिरकार व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्हें पता चला कि स्पोट्र्स एक्टिविटी से रिकवरी हो सकती है तो उन्होंने स्विमिंग और हैंड साइक्लिंग शुरू की. करीब डेढ़ साल बाद मार्च में दोबारा OPD में लौटे और मरीजों का ऑपरेशन शुरू कर दिया.
एक्सीडेंट के बाद लाइफ में कमबैक की कहानी डॉ. जगवीर की जुबानी…
डॉ. जगवीर ने बताया, “नवंबर 2021 की बात है। पुणे में 200 किमी. की साइकिल रेस थी। मुझे शुरू से साइक्लिंग का शौक था। मैं भी इस अप एंड डाउन हिल्स की 200 किलोमीटर की रेस में हिस्सा लेने पहुंच गया। यह रेस पहाड़ों पर होनी थी, जहां ढेर सारी ढलान और चढ़ाई के हिस्से थे। मेरी साइकिल की स्पीड करीब 70 किलोमीटर थी। तभी मैं एक पहाड़ी के ढलान वाले हिस्से पर जा पहुंचा। इस स्पीड को मैं कंट्रोल नहीं कर पाया। ढलान पर साइकिल की स्पीड बढ़ गई थी। समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इसे कंट्रोल करूं। तभी मैं साइकिल के साथ एक बिजली के खंभे से टकरा गया। टक्कर लगते ही मैं बेसुध हो गया। मुझे पुणे के हॉस्पिटल लाया गया।”
25 दिन ICU में रहा, पता चला पैरालाइज हो गया
उऩ्होंने बताया, “इस हादसे के बाद मुझे कहां और किस हालात में ले जाया गया, मुझे सुध नहीं थी। मैं करीब 25 दिन ICU में रहा। जब मुझे होश आया तो पता चला कि मेरी कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज हो चुका था। मेरा इलाज दिल्ली के एक हॉस्पिटल में चला। करीब साढ़े चार महीने तक दिल्ली, अमेरिका और पुणे के अलग-अलग हॉस्पिटल में इलाज हुआ, लेकिन रिकवर नहीं हो पाया। आखिर में मुझे बताया गया कि मैं अब ठीक नहीं हो पाऊंगा और मुझे बाकी की जिंदगी व्हीलचेयर पर गुजारनी पड़ेगी।”
शिकागो के रिहैब सेंटर में बदल गई मेरी जिंदगी
डॉ. जगवीरने कहा, “जब व्हीलचेयर पर जिंदगी गुजारने की बात सुनी तो मानों पहाड़ टूट पड़ा. घर और परिवार वालों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गईं. मुझे भी लगने लगा था कि अब मैं अपना परिवार और हॉस्पिटल कैसे संभालूंगा. इस बीच किसी ने दिल्ली के एक रिहैब सेंटर के बारे में बताया और मुझे वहां ले जाया गया. यहां से मैं US के शिकागो में बने स्पोट्र्स रिहैब सेंटर में गया. बताया गया कि स्पोट्र्स रिहैब सेंटर में रिकवर होने के चांस ज्यादा रहते हैं. यहां मुझे मेरे सारे काम खुद ही करने पड़ते थे. छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम खुद करता था. शायद यह इंसान को सही करने की टेक्नीक थी. यहां रहते हुए मैंने एक फिटनेस कैंप भी जॉइन किया. कैंप में मुझे पता चला कि पैरालाइज्ड लोगों के लिए जीवन और स्पोट्र्स में करने के लिए बहुत कुछ है. यहां पर मैंने हैंड साइक्लिंग के साथ ही स्विमिंग भी शुरू की. यह रिहैब सेंटर मेरे जीवन का नेक्स्ट लेवल था.” और, अब मेरी जिंदगी बदल चुकी है, मेरे लिए कुछ असंभव नहीं.
उन्होंने बताया, “जब मैं यहां से लौटा तो ऐसा लगा कि नया जीवन लेकर लौट रहा हूं। शिकागो से जब भरतपुर लौटा तो मैंने अपना शेड्यूल बना लिया. अब पिछले एक साल से रोजाना एक से डेढ़ घंटे हैंड साइक्लिंग कर रहा हूं. इसके लिए घर में ट्रैक भी बनवाया है. घर में भी स्विमिंग पूल है तो रोजाना स्विमिंग करता हूं. साथ ही वॉकर में खड़े होकर सहयोगियों के सहारे से चलने का प्रयास कर रहा हूं. व्हीलचेयर मैं खुद चलाता हूं. रोजाना 10 किलोमीटर का वर्कआउट हो जाता है. जब मेरा 53वां जन्मदिन था तो एक ही रात में 53 किलोमीटर दौड़ कर बर्थडे सेलिब्रेट किया था. 55वें जन्मदिन पर 55 दिन तक 55 किलोमीटर साइकिल प्रतिदिन चलाई. साइकिल से 750 किलोमीटर की गोल्डन ट्रायंगल रनिंग और 600 किलोमीटर की बीआरएम भी कर चुका हूं. अब सपना है कि अगले साल तक साइक्लिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लूं. शिकागो से ये आइडिया भी लेकर आया कि ऐसा ही रिहैब सेंटर राजस्थान में भी खोलूंगा ताकि पैरालाइज्ड लोगों को नया जीवन मिल सके.”
मार्च 2022 से OPD में लौटा, अब तक 100 ऑपरेशन कर चुका हूं
डॉ. जगवीर का खुद का हॉस्पिटल है. उन्होंने बताया, “इस हालत में भी अपने आप को दोबारा एक्टिव किया. शिकागो से लौटने के बाद मार्च 2022 से OPD में मरीज देखने शुरू किए. जून में ऑपरेशन करने लगा. व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे 100 से ज्यादा ऑपरेशन कर चुका हूं. इसमें दो से तीन घंटे तक चलने वाले घुटने और कूल्हे के ऑपरेशन भी शामिल हैं. ऑपरेशन करने के लिए अलग से व्हीलचेयर मंगवाई है. जिसे ऑपरेशन के दौरान जरूरत के हिसाब से 5 फीट तक ऊंचा किया जा सकता है. लोग मुझे देखकर सोचते हैं कि इलाज कैसे करेगा, पर व्हीलचेयर से ज्यादा मजबूत इंसान की विल पावर होती है. मैं जब भी गंभीर रोगियों काे परेशान देखता हूं तो कहता हूं कि मुझे देखिए. जिंदगी की जंग हर हाल में जीती जा सकती है.”
जो मेरे पैरों को लेकर बात करता है वह मुझे अच्छा नहीं लगता
डॉ. जगवीर बताते हैं, “मेरे प्रति सभी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर हो गया है. जहां मैं जाता हूं, वहां सभी लोग मुझे रास्ता देते हैं. सभी को लगता है यह आदमी व्हीलचेयर पर बैठकर हमारा इलाज कर रहा है तो वे अपनी परेशानी को भूल जाते हैं. आदमी के पास जो चीज होती है उसे उसी में खुशी मनानी चाहिए. आज जो आप हो उससे आपको एक स्टेप आगे बढ़ना है. जिस दिन से मैंने फिर से पेशेंट देखना और सर्जरी करना शुरू किया है, उस दिन से दिन-ब-दिन मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ता गया. इसमें मेरे कलीग्स, परिजन और दोस्तों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मुझे वह आदमी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता जो मेरे पैरों के बारे में बात करता है. लोगों को एप्रिशिएट करना चाहिए.”