हिमाचल प्रदेश में कम छात्रों वाले शिक्षण संस्थानों पर एक बार फिर गाज गिरी है. शुक्रवार को प्रदेश सरकार ने दो और दो से कम छात्रों वाले 143 स्कूलों को डिनोटिफाई किया है. शिक्षा सचिव अभिषेक जैन द्वारा जारीआदेशों के अनुसार प्रदेशभर के विभिन्न जिलों के 117 प्राथमिक और 26 मिडल स्कूलों को डिनोटिफाई किया गया है. इसमें बिलासपुर जिला के छह, चंबा जिला के आठ, हमीरपुर के चार, कांगड़ा में 17, किन्नौर में पांच, कुल्लू में चार, लाहुल-स्पीति में 19, मंडी में 18, शिमला में 25, सिरमौर में तीन, सोलन में सात और ऊना में एक प्राथमिक स्कूल डिनोटिफाई किया गया है. वहीं, मिडल स्कूलों की बात करें, तो चंबा जिला में दो, कांगड़ा में तीन, किन्नौर में दो, लाहुल-स्पीति में सात, मंडी में पांच, शिमला में छह और सिरमौर में एक माध्यमिक स्कूल डिनोटिफाई किया गया है.
शिक्षा सचिव ने उपनिदेशकों को आदेश दिए हैं कि डिनोटिफाई किए गए स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए. विद्यार्थियों को उनकी च्वाइस के आधार पर निकट के स्कूलोंं में एडमिट किया जाए. वहीं नए स्कूलों में शिफ्ट करते समय विद्यार्थियों से कोई औपचारिकता पूरी नहीं कराई जाएगी. इसके अलावा उनसे नए स्कूल में एडमिशन के समय दोबारा फीस वसूल नहीं की जाएगी. डिनोटिफाई स्कूलों से शिक्षकों व अन्य स्टाफ को बिना शिक्षकों वाले स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि बिना शिक्षकों वाले स्कूलों की संख्या को कम किया जा सके. पूर्व जयराम सरकार के समय आखिरी के छह महीनों में करीब 380 स्कूल में खोले गए थे. इनमें से अधिकांश अपग्रेडेड स्कूल थे. इन स्कूलों में से करीब 200 ऐसे हैं, जहां एडमिशन ही नहीं हुई है. बाकी स्कूलों में एडमिशन कम है. सिर्फ 21 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां संतोषजनक एडमिशन हुई है. शिक्षा विभाग के अनुसार नए प्राइमरी स्कूलों में यदि 10 से कम बच्चे होंगे, तो वह आगे नहीं चलेगा. इसी तरह मिडल स्कूलों के लिए 15 और हाई स्कूलों के लिए 20 व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 25 बच्चों की शर्त लगाई गई है.
शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि डिनोटिफाई किए गए स्कूलों के भवनों का क्या उपयोग करना है, इसके बारे में संबंधित जिला के डीसी निर्णय लेंगे. इसके अलावा वहां मौजूद इन्फ्रास्ट्रचर का प्रयोग भी डीसी की अनुमति के बाद कोई संस्थान कर सकता है.