पूरे भारत में नाग पंचमी मनाई जाती है. नाग पंचमी के दिन नागों को दूध चढ़ाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. नाग पंचमी के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं.
भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व में दिए गए नाग पंचमी की कथा के बारे में बताया गया है. इस पुराण के अनुसार सुमंतु मुनि ने शतानीक राजा को नाग पंचमी की कथा के बारे में बताया है. श्रावण शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन नाग लोक में बहुत बड़ा उत्सव होता है. पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को गाय के दूध से स्नान कराता है उसके कुल को सभी नाग अभय दान देते हैं. उसके परिवार जनों को सर्प का भय नहीं रहता है.
नाग पंचमी क्यों मनाते हैं?मान्यता के अनुसार महाभारत में युधिष्ठिर के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बनाया. एक शाप की वजह से परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डंसने से हो गई थी. परीक्षित के बाद उसका पुत्र जनमेजय राजा बना. जनमेजय अपने पिता की मृत्यु का बदला नागों से लेना चाहता था. उसने पृथ्वी के सभी नागों को एक साथ मारने के लिए नाग दाह यज्ञ करवाया. इस यज्ञ की वजह से नाग खत्म होने लगे. जब ये बात आस्तिक मुनि को मालूम हुई तो वे तुरंत राजा जनमेजय के पास पहुंचे.
आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को समाझाया और यह यज्ञ रुकवाया. जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी. उस दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई. इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरूआत हुई. नाग दाह यज्ञ की आग से बचाने के लिए आस्तिक मुनि ने नागों पर दूध डाल दिया था. इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है.