यूपी के अयोध्या में सावन माह की तृतीया तिथि से मठ मंदिरों में झूलन उत्सव का आगाज हो जाता है. जबकि अस्थायी मंदिर में विराजमान भगवान रामलला श्रावण माह की पंचमी तिथि से झूलन पर विराजमान होकर अद्भुत दर्शन देते हैं.
यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस समय रामलला 5 फीट ऊंचे चांदी के बने हिंडोले पर चारों भाइयों समेत झूलन बिहार का आनंद ले रहे हैं, तो दूर दराज से हजारों की संख्या में पहुंचे भक्त भी भगवान राम के अद्भुत दर्शन कर अपने को धन्य मान रहे हैं. सावन माह की पंचमी तिथि से रक्षाबंधन तक रामलला अपने चारों भाइयों के साथ झूलन पर विराजमान रहेंगे. इस दरमियान उनको सावन की कजरी गीत सुनाए जाएंगे. इस दौरान कई प्रकार के मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद वहां पहुंचे राम भक्तों में वितरित किया जाता है.
इतना ही नहीं बताया जाता है कि 28 वर्षों तक रामलला के दरबार में झूलन उत्सव का आयोजन सीमित स्तर पर होता रहा है. संगीनों के साए में विराजमान रहे रामलला को काष्ठ के झूले पर प्रतिदिन विराजमान कर दिया जाता था. उस दौरान निर्धारित समय अवधि में ही श्रद्धालु झूलन बिहार का आनंद करते थे, लेकिन जब से अस्थायी मंदिर में रामलला विराजमान हुए हैं, तब से पूरी भव्यता के साथ झूलन उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष भी भव्यता और दिव्यता के साथ रामलाल चांदी के झूले पर विराजमान होकर झूलन उत्सव का आनंद ले रहे हैं.
राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि नाग पंचमी के दिन से रामलला के दरबार में झूलन का आयोजन किया जाता है. रामलला अपने चारों भाइयों के साथ झूलन पर विराजमान होते हैं. सावन माह के झूलन उत्सव के मौके पर कजरी गीत सुनाई जाती हैं. बधाइयां गाई जाती हैं. इतना ही नहीं विविध प्रकार के मिष्ठान के भोग लगाए जाते हैं. साथ ही बताया कि राम भक्तों में प्रसाद के रूप में भगवान रामलला के लगे भोग को वितरित किया जाता है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 30 अगस्त तक झूलन उत्सव मनाया जाएगा .