अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर को लेकर बड़ी खबर आई है. राम मंदिर को लेकर मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर से विशेष रथ पर सवा 4 फीट ऊंचा एक शिवलिंग अयोध्या लाया गया. पवित्र शिवलिंग को श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के शिव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा. ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी की एक बड़ी चट्टान से तैयार शिवलिंग का वजन 600 किलो से भी अधिक है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की चिट्ठी पर शिवलिंग को अयोध्या लाया गया. चंपत राय ने बाकायदा रुद्राभिषेक अनुष्ठान और पूजन अर्चन के बाद शिवलिंग को स्वीकार किया.
बता दें कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर के जरिए पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा रहा है. महाराष्ट्र से दरवाजे और खिड़कियों के लिए लकड़ी आ रही है. कर्नाटक से पत्थर लाए गए हैं. राजस्थान के पत्थरों का इस्तेमाल मंदिर निर्माण में किया जा रहा है. इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश से शिव मंदिर में स्थापित करने के लिए शिवलिंग लाया गया है. विधिवत पूजन-अर्चना के बाद नर्मदेश्वर शिवलिंग को अयोध्या लाने की भव्य रथ यात्रा ओंकारेश्वर से 18 अगस्त को शुरू हुई थी.
ओंकारेश्वर के अवधूत नर्मदानन्द बापू ने बताया कि मां नर्मदा की गोद में शिवलिंग का निर्माण होता है. सनातन संस्कृति में नर्मदा का हर कंकड़ शंकर है और नर्मदा की गोद से प्रकट हुआ शिवलिंग अयोध्या आकर अवधेश के रूप में विराजमान होगा. हिंदू संस्कृति में पंचदेव उपासना के अनुसार देवता मध्य में रहते हैं. इसलिए भगवान श्री राम मध्य में रहेंगे और चारों दिशा में चार देवता सूर्य, गणेश, मां जगदंबा और महादेव होंगे. द्रविड़ और आर्य संस्कृति का संगम होगा. पूर्व सांसद रामविलास दास वेदांती ने कहा कि नर्मदा नदी में भगवान नर्मदेश्वर सब जगह पाए जाते हैं.
ओंकारेश्वर से नर्मदेश्वर राम जन्मभूमि परिसर में स्थापित किए जाएंगे. देश के हर प्रांत से कुछ ना कुछ राम जन्मभूमि परिसर में लगने जा रहा है. सभी को लगना चाहिए की रामलला हमारे हैं. जात पात भेदभाव छुआछूत की भावनाओं से ऊपर उठकर त्रेता में भगवान राम ने शबरी को गले लगाया था. कोल भीलों को गले लगाया जंगलों में घूम-घूम कर सबको अपना बनाया. वैसे ही कलयुग में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने हर प्रांत से लोगों को भगवान श्री राम से जोड़ने का काम किया है.