भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पहलगाम में हुई हत्याओं का बदला ले लिया है. वहीं इसके बाद पाकिस्तान की बौखलाहट साफ नजर आ रही है. भारतीय सेना ने एयरस्ट्राइक करके पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. इस हमले की प्रैस ब्रीफिंग करने के लिए कल जब कर्नल सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह आईं तो महिला शक्ति को देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. इसके बाद से दोनों ही सेना अधिकारियों के पराक्रम की तारीफ की जा रहा है. इस दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता का भी बयान सामने आया है जोकि खुद सेना का हिस्सा रह चुके हैं.
“अभी मौका मिले तो पाकिस्तान को…” कर्नल सोफिया के पिता
बता दें कि वड़ोदरा में कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता अपनी बेटी के अद्म्य साहस को देखकर फूले नहीं समा रहे हैं. उनके पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कई बड़ी बातें की हैं. उन्होंने कहा कि हमें हमारी लड़की पर गर्व है कि उसने राष्ट्र के लिए कुछ किया. हमारी अब उम्र हो गई है, पहले हमने भी 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश वाली जंग की. अगर अभी हमें मौका दिया जाए तो हम पाकिस्तान को खत्म कर देंगे. ये कंट्री दुनिया में रहने के लायक नहीं है.
परिवार में रही है देश सेवा की परंपरा
बातचीत के दौरान आगे सोफिया कुरैशी के पिता ने बताया कि मेरे फादर और ग्रेंड फादर भी आर्मी में थे. इसके बाद मैंने भी आर्मी ज्वॉइन की और मेरी बेटी भी देश का नाम रौशन कर रही है. आर्मी में जाना हमारे परिवार की परंपरा रही है. साथ ही आगे एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हम सिर्फ और सिर्फ देश के बारे में ही सोचते हैं. हमारी सोच वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम की रही है – (पहले हम भारतीय हैं और उसके बाद फिर कुछ और…)
कौन हैं कर्नल सोफिया ?
बता दें कि कर्नल सोफिया वडोदरा की रहने वाली हैं, उन्होंने अपने जीवन में सबसे पहले प्रोफेसर बनने का सपना देखा था. मगर बचपन से दिल में देशभक्ति का जज्बा पल रहा था, जिसने आगे चलकर वर्दी पहनने के लिए प्रेरित किया. उनके भाई संजय कुरैशी के अनुसार सोफिया ने पीएचडी पूरी होने के दौरान ही भारतीय सेना को ज्वॉइन करने का फैसला कर लिया था.
गुजरात सरकार की मुताबिक कर्नल सोफिया ने सन् 1997 में अपनी मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुईं. इसके बाद साल 2016 में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए (फोर्स 18) में बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में आर्मी दल की कमान संभाली. उस समय ऐसा करने वाली वो पहली अधिकारी बनीं. यूएन के पीसकीपिंग मिशन के तरह कर्नल सोफिया 2006 में तैनात रह चुकी हैं.
कर्नल सोफिया ऐसे परिवार से आती हैं जहां देश के लिए कुछ कर गुजरना अपना धर्म समझा जाता है. यही परंपरा उनके लिए भी प्रेरणा का स्रोत भी बनीं. उन्होंने MS यूनिवर्सिटी वड़ोदरा से बायोकैमिस्ट्री में BSC और MSC की. इसके बाद वहीं पर असिस्टेंट लेक्चरर के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया. इसके साथ ही सोफिया ने पीएचडी करना शुरू कर दिया और स्टाफ सर्विस कमीशन का पेपर क्वालिफाई किया. इसके बाद वो सेना में भर्ती हुई और पढ़ाई छोड़कर देश की सेवा करने का फैसला लिया.
परदादी थी महारानी लक्ष्मीबाई के साथ
कर्नल सोफिया के पिता, दादा से लेकर परदादा तक सभी भारतीय सेना का अभिन्न अंग रह चुके हैं. वहीं सोफिया कुरैशी की परदादी भी महारानी लक्ष्मीबाई के साथ स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रही थीं. ये अपने आप में ही एक गर्व की बात है. बता दें कि कर्नल सोफिया की शादी आर्मी में ही तैनात मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है.