शिमला: हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर पीढ़ियों से जीवन यापन कर रहे हजारों लोगों को अब उनकी भूमि पर मालिकाना हक मिलने का रास्ता साफ हो गया है. प्रदेश के राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने शिमला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2006 में लागू किए गए “अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम” के तहत पात्र लोगों को भूमि पर स्वामित्व अधिकार देने की प्रक्रिया प्रदेश में अब तेजी से शुरू की जा रही है.
उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर 2005 से पहले यदि कोई परिवार तीन पीढ़ियों से वन भूमि पर आश्रित रहा है और उसका जीविकोपार्जन इसी भूमि से होता आया है, तो वह इस कानून के तहत मालिकाना हक पाने का पात्र होगा. इसके लिए दो बुजुर्ग गवाहों की पुष्टि और ग्राम सभा की मंजूरी अनिवार्य होगी.
मंत्री नेगी ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने FRA कैलेंडर जारी कर दिए हैं, जिसमें स्पष्ट लक्ष्य रखा गया है कि 15 अगस्त तक प्राप्त सभी आवेदनों का निपटारा करते हुए स्वतंत्रता दिवस पर पात्र लाभार्थियों को मालिकाना हक के प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि जिला किन्नौर में इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और वहां अब तक 300 से अधिक लोगों को मालिकाना अधिकार दिए जा चुके हैं. मंत्री ने पात्र लोगों से अपील की कि वे समय रहते आवेदन कर इस योजना का लाभ उठाएं.
इस अवसर पर जगत सिंह नेगी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुई आतंकी घटना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह घटना केंद्र सरकार की सुरक्षा मामलों में गंभीर लापरवाही को उजागर करती है. उन्होंने कहा कि इससे पहले पुलवामा में जो घटना हुई थी, उसकी सच्चाई आज तक देश के सामने नहीं आ सकी है. नेगी ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की.
हिन्दुस्थान समाचार