नैना देवी मंदिर: हिमाचल के बिलासपुर में शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर मां नैना देवी विराजमान हैं. यह भव्य मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यतानुसार इस पावन स्थल पर देवी सती की आखें (नयन) गिरी थीं, यही कारण है कि इस मंदिर का नाम मां नैना देवी पड़ा. यहां से विशाल गोविंद सागर झील का शांत और मनमोहक नजारा दिखाई देता है, जो प्रकृति के साथ-साथ आस्था के अनूठे संगम का अनुभव कराता है.
इस दिव्य धाम में श्री एक पाद भैरव नाथ जी, हनुमान जी और श्री लक्षमी नारायण की मूर्तियां स्थापित हैं, जो भक्तों को अपना आशीर्वाद देती हैं. इसके साथ ही मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो शेर की मूर्तियां स्थापित हैं. साथ ही एक गुफा भी है, जो श्री नैना देवी गुफा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां श्री श्वेत वटुक जी की मूर्ति भी है.
साल के 12 महीने नैना देवी मंदिर में भक्तों का मेला रहता है, हालांकि नवरात्रि और श्रावण अष्टमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं. इस दौरान विशेष रूप से पूरे मंदिर को सजाया जाता है और मां की पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालु दूर-दूर से मां नैना देवी के दर्शन के लिए खीचे चले आते हैं.
भक्तों का मानना है कि मां नैना देवी सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना को पूर्ण करती हैं.
इतिहास और पौराणिक कथा
एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब माता ने महिषासुर राक्षस का वध किया था तो सभी देवताओं ने खुशी से जय नैना मां के जयकारे लगाए थे, जिसके बाद इसका नाम श्री नैना देवी पड़ गया. यह महिषापीठ के नाम से भी प्रसिद्ध है.
प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक दिन नैना नामक गुर्जर ग्वाला अपनी गाएं चरा रहा था तो उसने देखा कि एक गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध निकाल रही है. फिर एक रात उसको सपने में माता ने दर्शन दिए और कहा कि वो पत्थर उनका पिंड स्वरूप है. इसके बाद नैना ने अपने सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया. तब राजा ने उसी स्थान पर श्री नैना देवी मां के मंदिर का निर्माण करवाया था.
माता के दर्शन का उचित समय
सामान्य दिन: सुबह 4:00 बजे से रात 10:00 बजे तक.
नवरात्रि: सुबह 2:00 बजे से रात 12:00 बजे तक.
ऐसे पहुंचे श्री नैना देवी धाम
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है, जो लगभग 100 किलोमीटर दूर है.
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है, जो लगभग 20 किलोमीटर दूर है.
सड़क मार्ग: नैना देवी सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. चंडीगढ़, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं. आप टैक्सी के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं.
सदियों पुराने इस आस्था के केंद्र तक अब रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है, इससे भक्तों का यहां पहुंचना और भी आसान हो गया है.
मंदिर के आसपास के आकर्षण
गोबिंद सागर झील (Gobind Sagar Lake): भाखड़ा बांध के जलाशय से बनी यह झील बोटिंग और अन्य जल गतिविधियों के लिए फेम्स है. यह झील बिलासपुर और ऊना जिले में स्थित है. यह विशाल मैन मेड सरोवर है, जो भारत के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है. गोबिंद सागर झील लगभग 90 किमी लंबी और 170 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है. इसका नाम सीखों के 10वें गुरु, गुरू गोबिंद सिंह जी के सम्मान में रखा गया है.
भाखड़ा नांगल बांध (Bhakra Nangal Dam): यह भारत के सबसे ऊंचे बांधों में से एक है और इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है. यहां से सतलुज नदी और आसपास के पहाड़ों का शानदार दृश्य दिखाई देता है. यह नैना देवी मंदिर से लगभग 15-20 किलोमीटर दूर है.