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चिंतपूर्णी मंदिर: यहीं गिरे थे माता सती के चरण, दर्शन करने मात्र से होता है हर चिंत्ता का हरण

चिंतपूर्णी देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के पैर गिरे थे.

Yenakshi Yadav by Yenakshi Yadav
Apr 11, 2025, 05:12 pm GMT+0530
यहीं गिरे थे माता सती के चरण, दर्शन करने मात्र से होता है हर चिंत्ता का हरण

यहीं गिरे थे माता सती के चरण, दर्शन करने मात्र से होता है हर चिंत्ता का हरण

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हिमाचल का दूसरा नाम देवभूमि यूं ही नहीं है. यहां खूबसूरत पहाड़ों में ठंडी हवाओं के बीच हजारों देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं. जिनका अपने आप में एक पौराणिक इतिहास है. यहां दूर-दूर से श्रृद्धालु साल के 12 महीने दर्शन को आते हैं. इन मंदिर में भारी मात्रा में भक्त चढ़ावा चढ़ाते हैं. हिमाचल में कुल पांच शक्तिपीठ हैं. जिनके नाम हैं मां चामुंडा देवी, श्री बज्रेश्वरी देवी, श्री ज्वाला देवी, मां चिंतपूर्णी देवी, मां नैना देवी मंदिर जो देश-विदेशों में भी प्रसिद्ध है. यहां भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है. हिंदू धर्म के ज्यादातर मंदिर पहाड़ों पर स्थित हैं. चिंतपूर्णी देवी मंदिर न केवल एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, बल्कि यह शांत और सुंदर वातावरण में स्थित होने के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है. आईए आपको बताते हैं मां चिंतपूर्णी देवी मंदिर के बारे में विस्तार से…

मां चित्तपूर्णी मंदिर

चिंतपूर्णी देवी मंदिर, ऊना जिले में स्थित है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के पैर गिरे थे. माता चिंतपूर्णी को छिन्नमस्तिका देवी के नाम से भी पूजा जाता है. जो भक्तों की चिंताएं दूर करने वाली देवी का रूप है.

इतिहास और पौराणिक कथा
माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना लगभग 12 पीढ़ियों पहले पटियाला रियासत के माई दास नामक एक ब्राह्मण भक्त ने की थी.

एक अन्य कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध करने के बाद, अपनी दो योगिनी सखियों (जया और विजया) की रक्त की प्यास शांत करने के लिए अपना सिर काटा था. इसलिए, यहां छिन्नमस्तिका देवी की भी पूजा होती है, जिसका अर्थ है देवी जिनका सिर नहीं है.

यहां भक्त अपनी चिंताओं और दुखों से मुक्त होने के लिए आते हैं. मंदिर के गर्भगृह में देवी चिंतपूर्णी की पिंडी (गोल पत्थर का रूप) स्थापित है. मंदिर परिसर में भगवान हनुमान, श्री गणेश और अन्य देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं. मंदिर के पास एक पुराना बरगद का पेड़ है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए धागा बांधते हैं.

कैसे पहुंचें मां चिंतपूर्णी मंदिर

  1. सड़क मार्ग: हिमाचल प्रदेश और आसपास के राज्यों से चिंतपूर्णी के लिए सीधी बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
  2. रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना (लगभग 54 किमी), अंब अंदौरा (लगभग 21 किमी) और होशियारपुर (लगभग 48 किमी) हैं. यहां से टैक्सी या बस द्वारा चिंतपूर्णी पहुंचा जा सकता है.
  3. वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा कांगड़ा (गग्गल) है, जो चिंतपूर्णी से लगभग 66 किमी दूर है.

चिंतपूर्णी मंदिर के आसपास इन जगहों को करें एक्सप्लोर

  • डेरा बाबा भरभाग सिंह: यह चिंतपूर्णी के पास सिखों का एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा है, जो आध्यात्मिक शांति के लिए जाना जाता है और राजधानी दिल्ली से लगभग 354 किमी की दूरी पर है.
  • गोबिंद सागर झील: भाखड़ा बांध के जलाशय से बनी यह झील बोटिंग और अन्य जल गतिविधियों के लिए फेमस है. यह झील बिलासपुर और ऊना जिले में स्थित है. यह विशाल मैन मेड सरोवर है, जो भारत के सबसे बड़े जलाशयों में से एक है. गोबिंद सागर झील लगभग 90 किमी लंबी और 170 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है. इसका नाम सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी के सम्मान में रखा गया है.

Tags: Chintpurni TempleHimachal PradeshHimachal ShaktipeethsHimachal TourismTOP NEWSuna
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