शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में बसों का न्यूनतम किराया बढ़ा दिया है. अब बसों में न्यूनतम किराया पांच रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है. यह निर्णय शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया.
कैबिनेट बैठक के बाद जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि पिछले लंबे समय से बस किराया बढ़ाने की मांग बस ऑपरेटर कर रहे थे. लेकिन इस बार केवल न्यूनतम किराया ही बढ़ाया गया है, बाकी किराया दरें यथावत रहेंगी.
मंत्री ने कहा कि पिछले कई वर्षों से बस किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी. वर्तमान में यात्रियों से न्यूनतम 5 रुपये किराया लिया जा रहा था, जिसे अब बढ़ाकर 10 रुपये किया गया है.
बता दें कि यह बदलाव खासकर उन लोगों की जेब पर सीधा असर डालेगा, जो रोजाना कम दूरी का सफर तय करते हैं, जैसे स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, कामकाजी लोग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग.
जानकारी के मुताबिक यह निर्णय निजी बस ऑपरेटरों के दबाव और सरकारी बस सेवा एचआरटीसी (हिमाचल पथ परिवहन निगम) की खराब आर्थिक स्थिति के चलते लिया गया है. निजी बस ऑपरेटर लंबे समय से न्यूनतम बस किराया पांच रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये करने की मांग कर रहे थे. उनका तर्क है कि हिमाचल प्रदेश में जहां एक ओर सामान्य किराया देश में सबसे ज्यादा है वहीं न्यूनतम किराया देश में सबसे कम है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.
प्रदेश सरकार ने फिलहाल किराया दोगुना कर इसे 10 रुपये किया है. इससे न केवल निजी ऑपरेटरों को राहत मिलेगी बल्कि एचआरटीसी को भी आंशिक आर्थिक सहारा मिलेगा. एचआरटीसी की बात करें तो यह निगम बीते वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा है. 31 मार्च 2023 तक एचआरटीसी का कुल घाटा 1966 करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2024 तक बढ़कर 2119 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. वर्तमान में यह घाटा 2200 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है.
निगम को इस घाटे से उबारने के लिए प्रदेश सरकार हर वर्ष 700 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट देती है. बावजूद इसके एचआरटीसी की माली हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही. निगम के पास वर्तमान में लगभग 3000 बसों का बेड़ा और 3800 से अधिक रूट हैं. एचआरटीसी पर करीब 28 वर्गों को रियायती किराया सुविधा देनी होती है जिससे उसकी आय पर सीधा असर पड़ता है.
इन वर्गों में महिलाओं को दी जा रही 50 प्रतिशत छूट सबसे अधिक बोझ डाल रही है. सरकार का तर्क है कि सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से दी जा रही यह छूट जरूरी है लेकिन इसका असर एचआरटीसी की वित्तीय हालत पर साफ नजर आ रहा है.
हिन्दुस्थान समाचार