शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन विधायकों और मंत्रियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि किए जाने के बाद अब कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी लंबित देनदारियों को जारी करने की मांग तेज कर दी है. इस मुद्दे को लेकर संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने राजधानी शिमला में एक प्रेस वार्ता आयोजित की. महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने सरकार से कर्मचारियों की लंबित मांगों को जल्द पूरा करने की अपील की.
वीरेंद्र चौहान ने कहा कि विधानसभा का बजट सत्र के अंतिम दिन विधायकों और मंत्रियों की सैलरी में 24 से 26 प्रतिशत की वृद्धि की गई. हालांकि इस संबंध में अंतिम आंकड़े नोटिफिकेशन जारी होने के बाद स्पष्ट होंगे. चौहान ने कहा कि बजट सत्र के दौरान कई विधायकों ने महंगाई का हवाला देते हुए वेतन वृद्धि की मांग की थी जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया. लेकिन सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि महंगाई सिर्फ विधायकों के लिए नहीं बल्कि कर्मचारियों के लिए भी बढ़ी है. बावजूद इसके कर्मचारियों की मांगों पर बजट सत्र में कोई चर्चा नहीं हुई.
महासंघ के अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश में कर्मचारियों के वेतन में पिछली वृद्धि 2006 में हुई थी और उसके बाद 2016 में इसे फिर बढ़ाया जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा 2022 में जाकर हुआ, वह भी केवल वेतन वृद्धि तक सीमित रहा, भत्तों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. पहले प्रदेश में पंजाब सरकार के समान वेतनमान लागू किया जाता था, लेकिन 2022 में केंद्र सरकार की तर्ज पर वेतन निर्धारित किया गया, जिससे हिमाचल के कर्मचारी पंजाब की तुलना में पिछड़ गए.
चौहान ने कहा कि वर्ष 2023 से कर्मचारियों की डीए की चार किश्तें और महंगाई भत्ते का एरियर अभी भी लंबित पड़ा हुआ है. सरकार को इसे जल्द से जल्द जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के एक कर्मचारी का कम से कम 5 लाख रुपये का एरियर पेंडिंग है, जिससे कर्मचारियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने सरकार को चेताया कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया तो सात अप्रैल को प्रस्तावित महासंघ के सम्मेलन में आगामी रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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