शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सत्र समापन के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि यह सत्र 10 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चला जिसमें कुल 15 बैठकें आयोजित की गईं. इन बैठकों की कार्यवाही लगभग 73 घंटे तक चली और इसकी उत्पादकता 110 प्रतिशत रही.
अध्यक्ष ने बताया कि सत्र के पहले दिन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व मंत्री एवं सांसद स्वर्गीय किशन कपूर तथा 20 मार्च को दिवंगत हुए पूर्व मंत्री केवल सिंह पठानिया को सदन में श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान कुल 845 तारांकित और 289 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए.
उन्होंने बताया कि सत्र में नियम 61 के तहत 2, नियम 62 के तहत 10, नियम 101 के तहत 7, नियम 130 के तहत 14, और नियम 324 व 344 के तहत एक-एक विषय पर विस्तृत चर्चा हुई. साथ ही, गैर-सरकारी सदस्य कार्य दिवस के लिए 22 और 27 मार्च निर्धारित किए गए थे.
सत्र के दौरान कुल 10 सरकारी विधेयक पारित किए गए. इन विधेयकों का उद्देश्य प्रदेश में संगठित अपराध पर लगाम लगाना और बढ़ते नशे को नियंत्रित करना है.
बजट पर हुई चर्चा, गिलोटिन के माध्यम से पारित हुआ वित्त विधेयक
24 और 25 मार्च को वर्ष 2025-26 के बजट अनुमानों पर चर्चा की गई, जबकि 26 मार्च को गिलोटिन के माध्यम से बजट पारित कर दिया गया. शून्यकाल के दौरान विधायकों द्वारा 24 विषय उठाए गए, जिनमें से 15 पर सार्थक चर्चा की गई.
विस अध्यक्ष ने बताया कि पिछला शीतकालीन सत्र केवल चार बैठकों का था, जिसमें कार्यवाही 21 घंटे 30 मिनट तक चली थी और इसकी उत्पादकता 106 प्रतिशत रही थी. उस सत्र में 317 प्रश्न विधायकों द्वारा पूछे गए थे. इस बजट सत्र में अपेक्षाकृत अधिक बैठकों और चर्चाओं के कारण उत्पादकता बढ़कर 110 प्रतिशत हो गई.
1180 छात्रों ने देखी विधानसभा की कार्यवाही
अध्यक्ष ने बताया कि इस सत्र के दौरान प्रदेश के विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों के 1180 छात्रों ने विधानसभा की कार्यवाही को प्रत्यक्ष रूप से देखा. उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक और संसदीय प्रणाली के प्रति युवाओं की रुचि और जागरूकता को दर्शाता है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्र के समापन पर कहा कि यह एक ऐतिहासिक सत्र रहा, जिसमें हिमाचल की संपदा को प्रदेश की समृद्धि के लिए उपयोग करने और कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक कानून बनाए गए.
वहीं विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष ने इस सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए. सदन के भीतर और बाहर, जनहित से जुड़े विभिन्न विषयों को सरकार के समक्ष रखा गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष की भूमिका सरकार को जवाबदेह बनाने की होती है और इस सत्र में भी विपक्ष ने अपनी जिम्मेदारी निभाई.
हिन्दुस्थान समाचार