शिमला: हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर व महाप्रबंधक विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का मामला गुरूवार को विधानसभा के बजट सत्र में उठा और इस पर भारी हंगामा हुआ. विपक्षी दल भाजपा ने इस मामले पर चर्चा की मांग को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे अस्वीकार कर दिया. विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव मंजूर न होने पर जोरदार हंगामा किया और फिर नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.
विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विमल नेगी की मौत के पीछे कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन में भ्रष्टाचार और अधिकारियों पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा था, जिससे विमल नेगी को प्रताड़ित होना पड़ा. वहीं भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार ने इस मामले में एफआईआर दर्ज तो की है लेकिन उसमें पावर कॉरपोरेशन के निदेशक का ही नाम शामिल है, जबकि एमडी का नाम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर एफआईआर से एमडी का नाम हटाया और इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करवाई जा रही है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई की है और मृतक के परिजनों से बातचीत की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विमल नेगी की पत्नी सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं और यह केवल भाजपा है जो इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से तूल दे रही है.
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि बीती रात भाजपा नेताओं ने मृतक के पार्थिव शरीर के पास बैठकर नारेबाजी की जो राजनीति से प्रेरित था. मुख्यमंत्री ने साफ किया कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दिलाएगी.
इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी भाजपा पर हमला बोला और कहा कि सरकार के चार मंत्रियों ने मृतक के परिजनों से बातचीत कर मामले को सुलझा लिया है. उन्होंने भाजपा पर आग भड़काने और मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया.
वहीं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सारा मामला शांत हो गया है और परिजन भी शांत है और सिर्फ़ भाजपा असंतुष्ट है. उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच करवाने से इंकार किया.
उन्होंने माना कि विमल नेगी पर मानसिक दबाव था, जिसकी वजह से यह दुखद घटना हुई.
वहीं विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विमल नेगी की मौत बेहद संवेदनशील मामला है और इस दुख की घड़ी में पूरा सदन पीड़ित परिवार के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि विधानसभा इस मुद्दे पर संज्ञान ले रही है और वे स्वयं मामले की निगरानी करेंगे.
सरकार के जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा किया और फिर नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए.
हिन्दुस्थान समाचार